सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

मानवाधिकार क्या हैं? 2025 के लिए एक शुरुआती गाइड

 
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प्रस्तावना

आज हम ऐसे युग में जी रहे है जहाँ  एक ओर आधुनिक तकनीक,सोशल मीडिया ने सम्पूर्ण विश्व को एक गाँव में बदल दिया है | लेकिन दूसरी ओर आधुनिक डिजिटल तकनीकों ने ही उसके जीवन को अत्यधिक जटिल बना दिया है | 

आधुनिक डिजिटल तकनीकी दुनिया को बहुत तेजी के साथ बदल रही है | आम आदमी जिसकी डिजिटल तकनीकी तक आसान पहुंच नहीं है, वह इस बदलाव को समझ ही नहीं पा रहा है | 

वह जाने -अनजाने में मानव अधिकार उलंघन का शिकार हो रहा है | भारत जैसे 145 करोड़ की जनसंख्या वाले विशाल देश में अभी भी मानव अधिकार के पाठ्यक्रम को कुछ गिने- चुने शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ाया जाता है | 

आज हर आम आदमी की मानव अधिकार की मूलभूत जानकारी तक आसान पहुंच आवश्यक है | हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार प्राप्त है, जिसमे मानव अधिकार शिक्षा भी शामिल है |  

लेकिन क्या हम सभी को यह पता है कि एक आम इंसान के रूप में हमारे मौलिक अधिकार क्या हैं या हमारे मानव अधिकार क्या हैं ? 

इस लेख में हम सरल भाषा में विस्तार से समझेंगे कि मानव अधिकार क्या हैं, इनके प्रकार, कैसे पहचानें मानव अधिकारों का उल्लंघन ? तथा मानवाधिकार उल्लंघन होने पर क्या करें?

यदि आप छात्र, सोशल एक्टिविष्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता या कोई भी जागरूक नागरिक हैं, तो यह लेख या गाइड आपके लिए है |  

मानवाधिकार क्या हैं? (What Are Human Rights?)

मानव अधिकारों से तात्पर्य उन अधिकारों से है जो हर व्यक्ति को सिर्फ इस वजह से प्राप्त होते हैं क्यों कि वह एक मनुष्य हैं | 

मानव अधिकारों की प्रकृति सार्वभौमिक, अभिन्न, और अविभाज्य होती है | इनमे जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के साथ जीने के अधिकार मुख्य रूप से शामिल हैं | 

सयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार मानव अधिकार किसी राज्य द्वारा प्रदान नहीं किये जाते हैं | ये  हम सभी लोगों को राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा या कोई अन्य स्थिति कुछ भी हो के आधार पर बिना भेदभाव के प्राप्त होते हैं |

मानव अधिकार सभी लोगों में सार्वभौमिक रूप से निहित होते हैं | 

महत्वपूर्ण मानव अधिकार सिद्धांत 

मानव अधिकारों के अनुपालन के लिए कुछ सिद्धांत गढ़े गए है | इनमे से कुछ प्रमुख रूप से सार्वभौमिकता, समानता, अविभाजयता और उत्तरदायित्व हैं | 

सार्वभौमिकता का तात्पर्य हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलते हैं, चाहे वह विश्व में कहीं भी हो।समानता का अर्थ है कि धर्म, जाति, लिंग, भाषा, नस्ल, वंश तथा अन्य स्तर आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है | 

अविभाज्यता का मतलब है कि सभी नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक अधिकार लोगों के लिए समान रूप से जरूरी हैं। उत्तरदायित्व में शामिल है कि सरकारें और संस्थाएं इन अधिकारों की रक्षा के लिए उत्तरदाईत्वाधीन होती हैं।

मानवाधिकारों के प्रकार (Types of Human Rights) 

मानव अधिकारों को विशेष रूप से तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है | प्रथम श्रेणी में नागरिक और राजनीतिक अधिकार आते हैं | दूसरी श्रेणी में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार आते हैं | तीसरी श्रेणी में सामूहिक अधिकारों को रखा गया है | 

1. नागरिक और राजनीतिक अधिकार( First Generation Rights )

इस श्रेणी में ऐसे अधिकार आते है जो किसी भी व्यक्ति के चहुमुखी विकास के लिए आवश्यक हैं | इन्हे प्रथम पीढ़ी के अधिकार भी कहा जाता है |ये अधिकार परम्परागत अधिकार के रूप में उपलब्ध हैं |  

इन अधिकारों में जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति की आज़ादी, निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार आदि आते हैं | भारतीय संविधान के भाग तीन में नागरिक और राजनैतिक अधिकारों को  शामिल किया गया है | 

2. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार(Second Generation Rights)

इन अधिकारों की उत्पत्ति सिविल और राजनैतिक अधिकारों के बाद हुई है | इन्हे दूसरी पीढ़ी के मानव अधिकार भी कहा जाता  है |

इन अधिकारों की श्रेणी में आश्रय का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य और रोजगार का अधिकार, सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने का अधिकार, आदि आते हैं |

आश्रय के अधिकार के अनुसरण में ही मोदी सरकार ने लाखों गरीबों को घर की सुविधा उपलब्ध कराई |  

भारत में शिक्षा के मानव अधिकार के अनुसरन में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 बनाया और लागू किया गया है | जो भारत में बच्चों के शिक्षा के अधिकार को लागू करता है।

3. सामूहिक अधिकार (Third-Generation Rights)

समूह विशेष के अधिकारों को सामूहिक मानव अधिकार की श्रेणी में रखा गया है | इन्हे तीसरी पीढ़ी के मानव अधिकार भी माना जाता है | 

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अंतराष्ट्रीय विधि केवल व्यक्तिगत अधिकारों को मान्यता नहीं देती है बल्कि समूहों द्वारा सयुंक्त रूप से प्रयुक्त कुछ सामूहिक अधिकारों को भी मान्यता देती है | 

इनमे विकास का अधिकार, पर्यावरण संरक्षण का अधिकार, शांति और आत्म-निर्णय का अधिकार, LGBTQ + समुदाय के अधिकार आदि सामूहिक मानव अधिकार कहलाते हैं | यद्यपि ये सभी अधिकार  अभी अपने शैशव काल में हैं | 

यद्धपि विकास के अधिकार को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल गई है | लेकिन अभी  विकास के अधिकार के क्षेत्र को निर्धारित किया जाना शेष है | आम आदमी के लिए बनाई जाने वाली नीतियों में उनकी भागीदारी को विकास के अधिकार का अभिन्न अंग बनाया गया है | 



मानव अधिकारों की प्रहरी संस्थाएं 

अंतराष्ट्रीय स्तर पर 

सयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद (UN Human Rights Council)

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 मार्च, 2006 को मानवाधिकार परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित किया।यह परिषद् 47 सदस्यों की होती है | 

यह स्थाई है तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रति उत्तरदाई होती है | इसको विश्व में कहीं भी और किसी भी देश में मानव अधिकारों के उलंघन के विश्लेषण का अधिकार होता है | 

इसकी रिपोर्ट के आधार पर बड़े स्तर पर मानव अधिकार उल्लंघन को रोकने की व्यवस्था की जाती है | भारत भी मानव अधिकार परिषद् का सदस्य देश हैं |

एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International)


एमनेस्टी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था है | जिसकी स्थापना ब्रिटेन में हुई थी | संस्था की स्थापना मानवाधिकारों का प्रचार, प्रसार, संवर्धन और संरक्षण के उद्देश्यों को लेकर हुई थी। 

यह विश्व भर में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्य करती है और उनके उल्लंघन पर शोध कार्य भी करती है | यह सरकारों और उनके मातहत संस्थाओं पर मानव अधिकार उल्लंघन रोकने के लिए दबाब बनाने के लिए बड़े बड़े अभियान चलाती है |  

इसके कार्यकर्ता और समर्थक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं | यह संस्था मानव अधिकार संरक्षण के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है | 

ह्यूमन राइट्स वाच (Human Rights Watch)

ह्यूमन राइट्स वॉच भी एक गैर -सरकारी विश्वव्यापी संघटन है जो मानवाधिकार उल्लंघन पर शोध के अलावा उनके संवर्धन के लिए काम करता है | 

यह बाल श्रम, दिव्यांग अधिकार, यातना, मानव तस्करी, महिलाओं के अधिकारों और LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों जैसे मानव अधिकार विषयों पर पूरी दुनिया में कैंपेन चलाता है | यह मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्य करने वाले कुछ गिने चुने संगठनों में से एक है |  

भारत में

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)

मानव अधिकारों के क्रियान्वयन से सम्बंधित विभिन्न कार्यों को अंजाम देने के लिए राष्ट्रीय संस्थान की आवश्यकता थी | जिसके लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग बनाया गया | 

Source: NHRC Website

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के तहत मानव अधिकार शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान आदि के कार्य किये जाते हैं | भारत में मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्य करने वाली गैर न्यायिक सबसे बड़ी संस्था के रूप में कार्य करता है | 

मानव अधिकार आयोग का कार्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में है | यह सम्पूर्ण देश में मानव अधिकार के उलंघन से सम्बंधित शिकायतों को सुनने और उन्हें आवश्यकता अनुसार   मुआवजा देने जैसे राहत भरे कार्य करता है | 

अनेक मानव अधिकार के उलंघन की घटनाओं के सम्बन्ध में आर्थिक मुआवजे के लिए राज्य सरकारों को अनुमोदित करता है | यह विभिन्न मानवाधिकार मुद्दों पर शोध कार्यों को भी बढ़ावा देता है | 

राज्य मानवाधिकार आयोग

राष्टीय स्तर पर मानव अधिकार आयोग के अलावा  हर राज्य में मानव अधिकार उल्लंघन की घटनाओं को देखने और उनके सम्बन्ध में जन चेतना फैलाने के लिए राज्य मानव अधिकार आयोग की स्थापना की गई है | 

कैसे पहचानें मानव अधिकारों का उल्लंघन ?

मानव अधिकारों के उल्लंघन को पहचानना बहुत आसान है | इसके लिए सिर्फ आपको जानने है अपने मानव अधिकार | 

उदाहरण स्वरुप आपको आपकी अभिव्यक्ति से रोका  जा रहा है  या आपके साथ जाति, धर्म, लिंग,भाषा ,क्षेत्र ,धर्म या अन्य किसी आधार पर भेदभाव हो रहा है या सरकारी संस्थाएं अत्यधिक बल प्रयोग कर रही हैं | 

जब शिक्षा, स्वास्थ्य या रोजगार तक आपकी पहुंच में बाधा पैदा की जा रही है या उसमे भेदभाव किया जा रहा है या वंचित किया जा रहा है तो आपको समझ लेना चाहिए कि आप मानव अधिकार उल्लंघन के शिकार हो रहे हैं | 

मानवाधिकार उल्लंघन होने पर क्या करें?

मानव अधिकार उलंघन होने पर आप सीधे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं | इसके अलावा आप राज्य मानव अधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं | 

ऑनलाइन कंप्लेंट फाइलिंग प्लेटफॉर्म से आप मानव अधिकार उलंघन की शिकायत दर्ज करा सकते हैं | आप ऑनलाइन शिकायत की स्थति को भी ट्रैक कर सकते हैं | इसके अलावा आप सीधे भी शिकायती पत्र राष्ट्रीय या राज्य मानव अधिकार आयोग को भेज सकते हैं | 

राष्ट्रीय या राज्य मानव अधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि मानव अधिकार उलंघन की घटना से सम्बंधित कोई मुकद्दमा किसी न्यायालय में तो नहीं डाला है | यह भी सुनिश्चित कर ले कि घटना एक वर्ष से ज्यादा पुरानी न हो | 

आपके मानव अधिकार के उलंघन की स्थति में आप अपने जिले के मानव अधिकार न्यायालय में न्याय प्राप्त करने के लिए जा सकते हैं | 

यद्धपि भारत में मानव अधिकार न्यायालय स्थापित जरूर कर दिए गए हैं, लेकिन मानव अधिकार विषय की जानकारी और मूल क्षेत्राधिकार के अभाव में इन न्यायालयों में मानवाधिकार उल्लंघन विषय पर मुकदद्मों के नाम पर कुछ भी नहीं है | 

न्याय व्यवस्था में मानव अधिकार शिक्षा प्राप्त छात्रों को नियुक्त करने की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं बनाई गई है | यह मानव अधिकार शिक्षा की बड़ी विडम्बना है | 

मानव अधिकार उलंघन की दिशा में आप मीडिया या सोशल मीडिया का भी उपयोग कर सकते हैं | मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है | अनेक मानव अधिकार उलंघन की घटनाएं मीडिया के कारण ही समाज के सामने उजागर हो सकीं  हैं

निष्कर्ष

आज मानव अधिकारों को कागज़ से निकाल कर वास्तविकता में जीने की जरूरत है | मानव अधिकार केवल शब्द नहीं हैं बल्कि एक अच्छे जीवन और चहुमुखी विकास की बुनियाद हैं | 

2025 में दुनिया एक गाँव में बदल चुकी है | आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के युग में दुनिया पहले से अधिक जटिल हो चुकी है | ऐसे समय में मानव अधिकारों की रक्षा करना पहले से अधिक कठिन और आवश्यक हो गया है | 

हर व्यक्ति के मानव अधिकार की रक्षा के लिए हम सभी को बिना किसी भेदभाव के संगठित, जागरूक और सक्रिय रहना होगा | 

मानव अधिकार शिक्षा तक सभी की आसान पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रबल राजनैतिक इच्छा शक्ति के साथ सरकार और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा| 


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ ):-

प्रश्न: मानव अधिकार क्या हैं?

उत्तर: मानव अधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं जो हर व्यक्ति को केवल इंसान होने के नाते मिलते हैं। इनमें जीवन, स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा और गरिमा से जीने का हक शामिल है। 

प्रश्न :मानव अधिकार क्यों आवश्यक हैं | 

उत्तर : मानव अधिकार मनुष्य के चहुमुखी विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं | इनके बिना मनुष्य का सर्वागीण विकास संभव नहीं होता है | 

प्रश्न : मानव अधिकार की कितनी श्रेणियां हैं ? 

उत्तर : मानव अधिकारों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है | इन्हे प्रथम पीढ़ी के अधिकार, दूसरी पीढ़ी के अधिकार और तीसरी पीढ़ी के अधिकार के रूप में बाँटा गया है | तीसरी पीढ़ी के अधिकारों को सामूहिक अधिकार भी कहते हैं |  

विशेष : दोस्तों टिप्णी और फॉलो करना न भूलें | आप बने रहिये हमारे साथ | 



रविवार, 5 अक्टूबर 2025

डीपफेक वीडियो और भारत में डिजिटल अधिकार: गोपनीयता व पर्सनॅलिटी राइट्स पर बढ़ता खतरा

डीपफेक वीडियो का खतरनाक प्रभाव और गोपनीयता अधिकार
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प्रस्तावना 

वर्तमान में डिजिटल तकनीकी जिस तेज गति से आगे बढ़ रही है, उससे अधिक तेज गति से उसके दुरूपयोग का खतरा भी बढ़ा है | 

डीपफेक की गंभीरता को समझते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने भी इसके खतरों के प्रति गहरी चिंता जाहिर की तथा कहा कि "डिजिटल मीडिया एक बड़ी चिंता" | 

डिजिटल तकनीकी का सर्वाधिक आधुनिक हतियार आर्टीफिसिअल इंटेलिजेंस (AI) अर्थात कृत्रिम बुद्धिमता की मदद से बनाये गए अनेक डीपफेक वीडियो आजकल आम से लेकर खास व्यक्तियों के लिए गंभीर समस्या बन रहे हैं |

ये वीडियो या सामिग्री इतनी वास्तविक होती है कि आम आदमी के लिए असली नकली की पहचान अत्यधिक मुश्किल काम होता है | 

डीपफेक वीडियो क्या है ?

डीपफेक वीडियो या सामिग्री कृतिम बुद्धिमता और मशीन लर्निंग के सयुंक्त गठजोड़ से निर्मित की जाती है | 

इसमें किसी व्यक्ति का चेहरा, उसके भाव -भंगिमा, उसके शरीर तथा उसकी चाल ढाल को इस तरह बदल दिया जाता है कि तैयार सम्पूर्ण सामिग्री पूर्ण रूप से वास्तविक लगने लगती है | 

डीपफेक वीडियो का खतरनाक प्रभाव और गोपनीयता अधिकार

उदाहरण स्वरुप हाल ही में एक अभिनेता की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वॉयस क्लोन का उपयोग करके एक डीपफेक वीडियो बनाया गया था।जिसमें वॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह को बेरोजगारी और मुद्रास्फीति के विषय  को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए दिखाया था |

कर्नाटक के पूर्व सीएम डी वी सदानंद गौड़ा  का एक डीप फेक वीडियो वायरल हुया, जिसके सम्बन्ध में उन्हें पुलिस में शिकायत दर्ज करानी पडी थी | 

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस नागरत्ना ने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और डीपफेक से बच्चो के शोषण से बचाने की लिए  कठोर क़ानून बनाने का सुझाव दिया है | 

डीपफेक से उत्पन्न खतरे और चुनौतियाँ 

भारत में गोपनीयता अधिकार और डिजिटल सुरक्षा
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नूरा फतेही, प्रियंका चोपड़ा,ऎश्वर्या रॉय, आलिया भट्ट, सचिन तेंदुलकर,रश्मिका मंदाना और रतन टाटा जैसी हस्तियां डीपफेक तकनीकी का शिकार हो चुकी हैं | टाटा नैनो रतन टाटा के जीवन का सर्वाधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट रहा है | 

वर्ष 2023 में दीपावली के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित बीजेपी कार्यालय पर कहा कि डीपफेक इस समय भारतीय व्यवस्था के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है और इससे समाज में अराजकता फैल सकती है।

मोदी ने आह्वान किया कि मीडिया डीपफेक के खतरों के प्रति जनता को जागरूक करने में सहयोग करें | 

डीपफेक के खतरों और चुनौतियों के बारे मैं नीचे संक्षेप में वर्णित किया गया है | |   


1. गोपनीयता का अधिकार और डीपफेक 

किसी व्यक्ति  द्वारा किसी भी महिला या पुरुष का चेहरा ,शरीर या आवाज  या कोई अन्य बस्तु का बिना उसकी अनुमति के किसी भी रूप में उपयोग करना उन व्यक्तियो के निजता के अधिकार का उलंघन होता है |  

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने Justice K S Puttaswami vs Union of India 2017 में स्थापित किया है कि निजता का अधिकार ,संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वंत्रता का अभिन्न हिस्सा है |  

डीपफेक सामिग्री द्वारा किसी भी व्यक्ति की निजता पर प्रत्यक्ष हमला होता है क्यों कि शातिर अपराधियों द्वारा पीड़ित व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी पहचान का दुरूपयोग किया जाता है |

2. मानहानि और मानसिक आघात 

डीपफेक तकनीकी से निर्मित सामिग्री जैसे ही सोशल मीडिया में पहुँचती है या वायरल होती है | जब उस व्यक्ति को डीपफेक काकनीकी से बने वीडियो की स्वयं या किसी और के माध्यम से जानकारी होती है तो यह मानहानि तथा मानसिक आघात का सबब बन जाता है |  

वायरल हुई वीडियो से पैदा हुई मानसिक आघात  की स्थति कभी कभी आत्मह्त्या तक पहुंच जाती है | यह उन परिवारों के लिए कभी न पूरी होने वाली क्षति बन जाती है | 

इसके अलावा मानसिक आघात की स्थति में स्वास्थ्य के अधिकार का गंभीर उलंघन होता है | स्वास्थ्य के अधिकार में मानसिक स्वास्थ्य भी शामिल होता है |  

3. महिला और बच्चों की सुरक्षा के लिए गंभीर संकट 

वर्ष 2017 के शुरुआती दौर में महिला हस्तियों को डीपफेक का पहला निशाना बनाया गया और यह काम किया गया था, उस समय उपलब्ध अश्लील वीडियो पर महिला हस्तियों के चेहरे को सुपरइम्पोज़ (एक चेहरे के ऊपर  दूसरा चेहरा रख देना) करके। 

विश्व भर में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध डीपफेक तकनीक का बहुत दुरूपयोग हो रहा है | महिलायें और बच्चे  इस तकनीक के प्रति बहुत संवेदनशील हैं | इन्हे डिजिटल तकनीकी के क्षेत्र में शातिर हमलावरों द्वारा आसानी से निशाना बना लिया जाता है |

अपराधियों का भय और सामाजिक सर्मिंदगी के चलते महिलाये और बच्चे खुलकर समय रहते अपनी शिकायत दर्ज नहीं कराते हैं | यह स्थति महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध डिजिटल हिंसा को कई गुना बढ़ा देती है |  

4.डीपफेक तकनीकी का बढ़ता राजनीतिक दुरूपयोग 

डीपफेक तकनीकी का पिछले कुछ समय से अत्यधिक राजनीतिक दुपयोग देखा जा रहा है | डीपफेक तकनीकी का उपयोग करते हुए पार्टियाँ विपक्षी पार्टियों को बदनाम करती हैं और चुनाव परिणामों को अपने पक्ष में कर लेती हैं | 

यह तकनीकी लोकतंत्र के लिए अत्यधिक घातक सिद्ध हो रही है | सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी रोकथाम के लिए अभी कोई पुख्ता प्रणाली उपलब्ध नहीं है | 

किसी भी देश के नागरिक बिना मजबूत लोकतंत्र के अपने मानव अधिकारों का वास्तविक और बिना रोकटोक के उपयोग नहीं कर सकते हैं |     

पर्सनॅलिटी राइट्स (Personality Rights) क्या हैं ? 

पर्सनॅलिटी राइट्स से तात्पर्य ऐसे अधिकारों से है जो किसी व्यक्ति का नाम ,चेहरा, आवाज या कोई अन्य पहचान जो उसके नियंत्रणाधीन है,से सम्बंधित है | 

किसी भी कंपनी ,ब्रांड या किसी व्यक्ति को पर्सनॅलिटी राइट्स का उपयोग उस उस व्यक्ति की सहमति के बिना करने की अनुमति नहीं है, जिससे  ये सम्बंधित हैं | 

उदाहरण स्वरुप किसी कंपनी या व्यक्ति  द्वारा किसी वॉलीवुड स्टार महिला या पुरुष का अर्टिफिफिशल इंटेलिजेंस (AI) से निर्मित सामिग्री का उपयोग किया जाना पर्सनालिटी राइट्स के उलंघन  का एक उदाहरण है |   

भारत में पर्सनॅलिटी राइट्स की मान्यता 

पर्सनॅलिटी राइट्स पर भारत में अभी कोई विशेष क़ानून उपलब्ध नहीं है लेकिन पर्सनालिटी राइट्स से जुड़े मुकदद्मों को भातीय न्यायालयों द्वारा मान्यता दी गई है | 

उदाहरण के तौर पर ICC Devlopment vs. Arvee Enterprises 2003 में माननीय कोर्ट ने स्थापित किया है कि किसी भी व्यक्ति की पहचान का उपयोग उसकी अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है | 

अभी हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने अपने पर्सनॅलिटी राइट्स के उलंघन को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका डाली गई | 

याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि अदालतें उनके व्यक्तित्व अधिकारों के अनधिकृत शोषण पर आंखें नहीं मूंद सकतीं।

भारत में डीपफेक और कानूनी स्थति 

1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

यह कानून, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 ई गवर्नेन्स को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों और डिजिटल हस्ताक्षरों को मान्यता देने और साइबर अपराधों जिसमे हैकिंग तथा ऑनलाइन धोखाधड़ी शामिल है, को रोकने और दण्डित करने के लिए बनाया गया | 

लेकिन अंतर्राष्ट्रीय साइबर कानून के अनुसरण में  वर्ष 2011 में इसमें संशोधन किया जिसमे साइबर अपराधों के दायरे को बढ़ाते हुए बाल पोर्नोग्राफी, पहचान की चोरी और निजता के उल्लंघन जैसे  गंभीर मामलों को भी शामिल किया। 

2.भारतीय न्याय सहिता (BNS),  2023 

इस कानून के तहत डीपफेक तकनीकी से निर्मित सामिग्री के प्रसार से यदि किसी व्यक्ति की मानहानि होती है तो वह इस क़ानून का सहारा लेकर न्यायालय में जा सकता है | 

इस सम्बन्ध में बेईमानी और अश्लील सामिग्री से जुड़े अपराधों में भी कानूनी कार्यवाही पीड़ित व्यक्ति  द्वारा की जा सकती है |

डिजिटल सुरक्षा पर अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण 

डिजिटल उपकरणों का उपयोग महिलाओं और लड़कियों  के विरुद्ध हिंसा के नए हतियार के रूप में तेजी के साथ किया जा रहा है | जिसमे मेनोस्फेअर(manosphere)जैसे नेटवर्क भी शामिल हैं| 

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा हर तीन में से एक महिला को प्रभावित करती है। यह एक वैश्विक मानवाधिकार आपातकाल है जिसे रोकना ज़रूरी है। यह कहना है संयुक्त राष्ट्र महिला का | 

सभी के लिए एक खुला, सुरक्षित और संरक्षित डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए संयक्त राष्ट्र संघ ने ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट का खाका तैयार किया गया है | 

यह समझौता 193 सदस्य देशों के वैश्विक परामर्श से तैयार किया गया है | भारत भी सयुंक्त राष्ट्र संघ का एक सदस्य देश है | 

यह संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों की सरकारों को ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों को बनाए रखने तथा डिजिटल स्पेस को सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध करता है।  

अब सिर्फ ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट को क्रियान्वित करने के लिए वैश्विक स्तर पर तेजी से प्रबल इच्छा शक्ति के साथ प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। 

डीपफेक से बचाव और समाधान 

1. तकनीकी उपाय 

डीपफेक पहचानने के लिए आर्टिफीसियल इंटेलीजेंस तकनीक
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डीपफेक सामिग्री से बचाव और समाधान में तकनीकी का महत्वपूर्ण योगदान है | 

चूँकि डीपफेक सामिग्री के निर्माण में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी आधुनिक डिजिटल तकनीकी का उपयोग किया जाता है | 

इस लिये उसके बचाव और समाधान के लिए भी और अधिक उन्नत डिजिटल तकनीकी का उपयोग आवश्यक होगा | 

यह दुर्भाग्य की बात है कि आर्टीफिसिअल इंटेलिजेंस का दुरुपयोग अत्यधिक बढ़ गया है, लेकिन उसका दुरुपयोग रोकने के लिए प्रशिक्षण सम्बंधित शिक्षा का अभाव दिखाई देता है | 

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प्रतीक सिन्हा पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उन्होंने भारत में  तथ्य- जाँच पोर्टल ऑल्ट न्यूज़ की सह-सस्थापक के तौर पर स्थापना की थी |

वे सोशल मीडिया के क्षेत्र में झूठे तथ्यों की जाँच के लिए एक जानी -मानी  हस्ती बन गए है | 

वे सोशल मीडिया पर झूठी खबरों और डीपफेक तकनीकी से निर्मित सामिग्री, जिसमे वीडियो भी शामिल हैं, की आधुनिक डिजिटल तकनीकी से जांच कर बताते हैं कि सामिग्री असली है या उसे डीपफेक तकनीकी के उपयोग से असली जैसा बनाया गया है, जबकि वह नकली है|

डीपफेक सामिग्री की जांच के लिए आज जरूरत है इस तरह से समर्पित केंद्रों को स्थापित करने की, जिससे समय रहते डीपफेक सामिग्री की सत्यता की जांच हो सके |

2. कानूनी उपाय :नए कानून की आवश्यकता 

डिजिटल युग में मानव अधिकार और गोपनीयता के अधिकार की सुरक्षा
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सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया भर में डीपफेक अपराधों की बाढ़ सी आ गई है | डीपफेक तकनीकी से निर्मित सामिग्री का उपयोग करके सबसे अधिक डिजिटल हिंसा का शिकार आधी आबादी अर्थात महिलाओं और बच्चों को बनाया जा रहा है|  

ऐसी स्थति में इस गंभीर और जटिल समस्या के समाधान की लिए जल्द से जल्द नए कानून को बनाए और लागू किये जाने की आवश्यकता सभी लोग महसूस कर रहे हैं | 

3. सामाजिक जागरूकता 

किसी भी देश में सभी कार्य वहाँ की सरकारें नहीं कर सकती हैं | इस लिए बहुत से कार्य गैर सरकारी संगठन करते हैं | गैर सरकारी संगठनों की पहुंच समाज के अंतिम आदमी तक होती है | 

ऐसी स्थति में समाज में डीपफेक के खतरों और उसके समाधान के लिए जागरूकता के लिए गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज को आगे आना चाहिए | 

इस समस्या की गंभीरता के सम्बन्ध में प्रधान मंत्री मोदी ने भी चेताया है | इस सम्बन्ध में सरकार को डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ावा देना चाहिए | 

4.व्यक्तिगत सतर्कता 

यह सर्व विदित है कि आज, अधिकाँश लोग आम हो या खास हो, डिजिटल तकनीकी का किसी न किसी रूप में उपयोग कर रहा है | फिर चाहे वह मोबाइल का उपयोग ही क्यों न कर रहा हो |

डिजिटल तकनीकी का उपयोग कर रहे शातिर अपराधी ऐसा जाल बुनते हैं कि फोन खोलते ही वे ऐसे आकर्षण में फसा लेते है कि मजबूरन व्यक्ति उनके जाल में फंस जाता है और पता तब लगता है जब बहुत देर हो चुकी होती है | डीपफेक का सहारा लेकर साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराधों को भी अंजाम दे रहे हैं | 

डीपफेक से पीड़ित व्यक्ति डर और सामाजिक लज्जा के कारण अपनी परेशानी को समय से अन्य से साझा नहीं करता है | 

व्यक्तिगत सतर्कता के चलते कई को अपनी निजी तस्वीरें साझा नहीं करनी चाहिए | यदि कोई सामिग्री संदिग्ध दिखाई देती है तो उसे मिलने वाले ,परिवारीजनों या पुलिस को तत्काल सूचित करना चाहिए | 

व्यक्तिगत सतर्कता के चलते व्यक्तियों को अपनी बात कहनी चाहिए, उन्हें पीड़ितों का समर्थन करना चाहिए तथा उन्हें हानिकारक ऑनलाइन मानदंडों और कानूनों को न्यायालयों और सरकार के समक्ष चुनौती देनी चाहिए |  

निष्कर्ष : डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा क्यों जरूरी है ? 

आजकल के डिजिटल युग में डिजिटल अधिकार की सभी लोगो को बुनियादी अधिकार के रूप में आवश्यकता है |यदि इन डिजिटल अधिकारों में किसी प्रकार का आपराधिक अतिक्रमण होता है तो यह सीधा -सीधा व्यक्ति  के मानव अधिकारों पर हमला होता है |

आज हर व्यक्ति की डिजिटल अधिकारों तक आसान पहुंच बुनियादी आवश्यकता बन चुकी है | डीपफेक तकनीक के कारण डिजिटल अधिकारों का अतिक्रमण हो रहा है|अब इनकी सुरक्षा का समय आ गया है | 

डीपफेक सामिग्री विशेषकर वीडियो डिजिटल युग की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है | यह विश्व भर में केवल तकनीकी खतरा नहीं है, बल्कि आम और खास  सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों के लिए खतरा है | 

आर्टीफीसिअल इंटेलिजेंस निर्मित डीपफेक से न सिर्फ निजता के अधिकार का उलंघन होता है, बल्कि स्वास्थ्य के अधिकार जैसे अन्य अधिकारों का भी उलंघन होता है | 

निजता का अधिकार, पर्सनॅलिटी राइट्स, स्वास्थ्य का अधिकार आदि किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद होते हैं | 

इस लिए आवश्यक है कि इस समस्या के निदान के लिए सरकार को आपराधिक न्याय व्यवस्था, तकनीकी विशेषज्ञ, समाज शास्त्रियों, तकनीकी कंपनियों तथा आम नागरिकों के सहयोग लिया जाए | 

यदि इस डीपफेक की समस्या का समाधान जल्द से जल्द नहीं किया गया और इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो यह भारत जैसे सशक्त लोकतंत्र तथा मानव अधिकारों के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकती है | 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) :-  

प्रश्न : डीपफेक वीडियो क्या हैं ? 

उत्तर : डीपफेक वीडियो आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (AI ) तकनीकी से बनाए गए नकली वीडियो होते हैं | लेकिन इन वीडियो को देखने के बाद इनके असली होने का आभास होता है |  

प्रश्न : डीपफेक वीडियो से निजता के अधिकार का उललंघन क्यों होता है ? 

उत्तर : क्यों कि डीपफेक वीडियो में किसी की छवि या आवाज का उसकी अनुमति के बिना उपयोग किया जाता है ? 

प्रश्न: पर्सनॅलिटी राइट्स क्या हैं ? 

उत्तर : सामान्य भाषा में पर्सनॅलिटी राइट्स से तात्पर्य किसी व्यक्ति का उसकी छवि ,आवाज ,नाम या  किसी अन्य रूप में उसकी पहचान  के सम्बन्ध में  उसका व्यवसायिक नियंत्रण है | 

प्रश्न : भारत में डीपफेक से निपटने के लिए कौन से क़ानून हैं ?

उत्तर : अभी इस समस्या से निपटने के लिए कोई विशेष क़ानून नहीं है | अभी आईटी एक्ट,2000  और बीएनएस, 2023  की धाराओं का उपयोग किया जाता है | 

प्रश्न : डीपफेक से बचाव के उपाय क्या हैं ? 

उत्तर: वर्तमान में कानूनी सुधार,फैक्ट चेक तकनीक, डिजिटल साक्षरता, सामाजिक जाग्रति और व्यक्तिगत सतर्कता डीपफेक से बचाव के अच्छे उपाय है | 

विशेष : दोस्तों टिप्णी और फॉलो करना न भूलें | आप बने रहिये हमारे साथ | 


गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

नया ड्रोन कानून 2025 : भारत में प्रमुख बदलाव और जिम्मेदारियाँ

ड्रोन टेक्नोलॉजी का सुरक्षा, आपदा, ट्रेफिक, डिलीवरी, मनोरंजन, कृषि,सर्वेक्षण और फिल्म निर्माण आदि क्षेत्रों में तेजी से विस्तार
Source: Picture click by Prafull Gautam
परिचय 

भारत में ड्रोन टेक्नोलॉजी का सुरक्षा, आपदा, ट्रेफिक, डिलीवरी, मनोरंजन, कृषि,सर्वेक्षण और फिल्म निर्माण आदि क्षेत्रों में तेजी से विस्तार हो रहा है| 

लेकिन दिन पर दिन इसके बढ़ते प्रसार और लोकप्रियता के चलते संचालन के खतरे और जोखिम भी सामने आये हैं, जैसे कि सुरक्षा को ख़तरा ,गोपनीयता के उलंघन का ख़तरा तथा हवाई क्षेत्र में अव्यवस्था फैलाने का ख़तरा | इन्हीं चुनौतियों को संबोधित करने के उद्देश्य से प्रस्तावित नए ड्रोन क़ानून को लाया गया है।  

यद्धपि भारत में पहले से ही ड्रोन नियम 2021 उपलब्ध हैं | लेकिन उक्त खतरे और चिंताओं को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने सिविल ड्रोन (संवर्धन और विनियमन) विधेयक, 2025 को प्रस्तुत किया है |

जिसे जनता के सुझावों के लिए खोला गया है | शीतकालीन सत्र में इसे लोकसभा में प्रस्तुत किये जाने की उम्मीद है | इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि नए  विधेयक में क्या है ? 

पुराने ड्रोन नियमों में क्या बदलाव आये हैं तथा यह बदलाव आम ड्रोन उपयोगकर्ता ,संचालक, उत्पादक और दुर्घटना की स्तिथि में पीड़ित को कैसे प्रभावित करेगा | 

किस -किस व्यक्ति पर लागू होगा नया ड्रोन कानून 2025 ?

कोई भी व्यक्ति जो भारत में किसी मानवरहित विमान प्रणाली(ड्रोन) का स्वामी या धारक है, या निर्यात, आयात, डिजाइन, विकास, निर्माण, व्यापार, पट्टे पर देने, संचालन, प्रशिक्षण, हस्तांतरण या रखरखाव में लगा हुआ है।

किस प्रकार के ड्रोन पर लागू नहीं होगा नया ड्रोन कानून 2025 ? 

नए ड्रोन कानून के प्रावधान 500 किलोग्राम से अधिक भार वाले मानवरहित विमान प्रणालियों(ड्रोन) पर लागू नहीं होंगे। 

ऐसी मानवरहित विमान प्रणालियाँ भारतीय वायुयान अधिनियम, 2024 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधानों द्वारा शासित होंगी।

भारत के नए ड्रोन कानून 2025 में नया क्या है ?

नए ड्रोन विधेयक में वर्ष 2021 के ड्रोन नियमो के मुकाबले कई बदलाब किये गए हैं | ये बदलाव वर्तमान परिस्थतियों  की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए किये गए हैं | 

इन बदलावों में ड्रोन व्यवसाय को बढ़ावा देने से लेकर ड्रोन से प्रभावित व्यक्ति को किसी छति की अवस्था में मुआवजे का भी प्रावधान शामिल है | 

यदि आप ड्रोन से किसी भी रूप में जुड़े हैं या जुड़ना चाहते है तो आपको नए कानून में आए बदलावों से अवश्य अवगत होना चाहिए | 

ड्रोन का डिजिटल स्काई पंजीकरण हुआ आज्ञापक

नया ड्रोन विधेयक कहता है कि मानव रहित विमान प्रणाली(Unmanned Aircraft System)(ड्रोन) को  DGCA  द्वारा Unique Identification Number (UIN)  न दिए जाने तक स्वीकृति नहीं दी जाएगी |अर्थात हर ड्रोन का पंजीकरण आवश्यक कर दिया गया है | 

UINअर्थात विशिष्ट पहचान संख्या के बिना किसी भी ड्रोन का हस्तानांतरण, खरीद -फरोख्त और संचालन नहीं किया जा सकता है | ड्रोन के पंजीकरण के लिए DGCA की वेबसाइट https://digitalsky.dgca.gov.in/home पर संपर्क किया जा सकता है | 

ड्रोन प्रकार प्रमाणन हुआ आज्ञापक

ड्रोन निर्माताओं को नए क़ानून के तहत DGCA  से ड्रोन प्रकार प्रमाणन लेना आवश्यक अवं आज्ञापक है |
Source: Prafull Gautam

ड्रोन निर्माताओं को नए क़ानून के तहत DGCA  से ड्रोन प्रकार प्रमाणन लेना आवश्यक अवं आज्ञापक है | 

कोई भी व्यक्ति किसी भी मानवरहित विमान प्रणाली का निर्माण या संयोजन नहीं करेगा, बिक्री के लिए पेशकश नहीं करेगा, चाहे ऑफलाइन हो या ऑनलाइन, या अन्यथा हस्तांतरित या हस्तांतरित करने का कारण नहीं बनेगा, जब तक कि उसके पास नागरिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा जारी प्रकार प्रमाणपत्र न हो या उसे इस अधिनियम के तहत जारी प्रकार प्रमाणपत्र की आवश्यकता से छूट प्राप्त न हो।

यदि ड्रोन उत्पादक इस प्रावधान का उलंघन करता है तो ड्रोन की बिक्री या अन्य प्रयोग प्रतिबंधित होंगे | 

आज्ञापक सुरक्षा विशेषताएं 

कोई भी व्यक्ति किसी भी ऐसे ड्रोन का निर्माण या संयोजन नहीं करेगा, बिक्री के लिए पेशकश नहीं करेगा, हस्तांतरण नहीं करेगा या हस्तांतरण का कारण नहीं बनेगा, संचालित नहीं करेगा या संचालित नहीं कराएगा,

जिसमें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अनिवार्य सुरक्षा और संरक्षा सुविधाएँ शामिल नहीं हैं या जब तक कि ड्रोन को ऐसी आवश्यकता से छूट नहीं दी गई हो, कुछ ड्रोन्स को छोड़ कर अधिकांश ड्रोन में सुरक्षा विशेषताएं आज्ञापक कर दी गई हैं | 

इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति ऐसे मानवरहित विमान प्रणाली(ड्रोन) के प्रकार प्रमाणपत्र में शामिल अनिवार्य सुरक्षा और संरक्षा सुविधाओं की किसी भी कार्यक्षमता को संशोधित, छेड़छाड़ या ख़राब नहीं करेगा।

वाणिज्यिक ऑपरेटरों के लिए आवश्यक हुया रिमोट पायलट प्रमाणपत्र या रिमोट पायलट लाइसेंस (आरपीएल)

ड्रोन उड़ाने की अनुमति कैसे लें? नए क़ानून के तहत यह एक अहम् प्रश्न है | ड्रोन उड़ाने की अनुमति के लिए रिमोट पायलट प्रमाण पत्र लेना पड़ता है |
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ड्रोन उड़ाने की अनुमति कैसे लें? नए क़ानून के तहत यह एक अहम् प्रश्न है | ड्रोन उड़ाने की अनुमति के लिए रिमोट पायलट प्रमाण पत्र लेना पड़ता है |

वाणिज्यिक ऑपरेटरों (ड्रोन का संचालन करने वाले लोगों) के लिए DGCA द्वारा जारी रिमोट पायलट प्रमाणपत्र या रिमोट पायलट लाइसेंस (आरपीएल) आवश्यक तथा अनिवार्य होगा | 

बिना वैध लाइसेंस के ड्रोन की उड़ान या संचालन की अनुमति नहीं है | 

आप चाहे जिस कार्य जैसे कि कृषि में कीटनाशक का छिड़काव, कंस्ट्रक्शन साइट का निरीक्षण, ट्रैफिक नियंत्रण, फिल्म या सीरियल निर्माण आदि में ड्रोन का सञ्चालन करना चाहते हैं, तो इसके लिए वैध रिमोट पायलट प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से प्राप्त कर लें | 

DGCA ने रिमोट पायलट प्रमाणपत्र की ट्रेनिंग के लिए रिमोट पायलट ट्रेनिंग संघठनों को मान्यता प्रदान की है जिसकी सूची DGCA की वेबसाइट पर उपलब्ध है | 

ड्रोन संचालन हेतु लाइसेंस के लिए आवेदन कहां करें?

ड्रोन सञ्चालन अवं अन्य  अनुमतियों के लिए DGCA की वेबसाइट पर दिए गए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर आवेदन का प्रावधान किया गया है |
Source:https://dgca.gov.in

व्यावसायिक रूप से ड्रोन का संचालन करने के लिए, उपयोगकर्ता को नीचे दी गई प्रक्रिया को अपनाना होगा:

 1. डीजीसीए द्वारा अनुमोदित किसी भी नजदीकी रिमोट पायलट प्रशिक्षण संगठन से प्रशिक्षण पूर्ण करें।

2 . प्रशिक्षण पूर्ण  करने के बाद आवश्यक निर्धारित लिखित और व्यावहारिक परीक्षा उत्तीर्ण करें।

3. DGCA की वेबसाइट पर दिए गए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर रिमोट पायलट सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करें ।

DGCA  द्वारा  कुछ दूरथ पायलट प्रशिक्षण संगठन को अधिकृत किया गया है |  

Digital Sky Zones” (ग्रीन, येलो, रेड ज़ोन) क्या है ?

हवाई क्षेत्र मानचित्र को तीन रंगों में विवाजित किया गया है तथा ये क्षेत्र है  हरा क्षेत्र ,पीला क्षेत्र  तथा लाल क्षेत्र | ड्रोन उड़ान के लिए किसी क्षेत्र में आवश्यक अनुमति पहले से ही निर्धारित रंग क्षेत्र के आधार पर प्रदान की जाती है | 

हवाई क्षेत्र मानचित्र को तीन रंगों में विवाजित किया गया है तथा ये क्षेत्र है  हरा क्षेत्र ,पीला क्षेत्र  तथा लाल क्षेत्र |
Source: Canva

ग्रीन क्षेत्र - 

इस क्षेत्र में पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है|

पीले क्षेत्र

इस क्षेत्र में प्रत्येक उड़ान से पहले अनुमति की आवश्यकता  लेनी पड़ती है| 

लाल क्षेत्र

इस क्षेत्र में किसी भी तरह के ड्रोन  को उड़ाने की अनुमति नहीं प्रदान की जाती है | ये उड़ान निषिद्ध क्षेत्र घोषित होते हैं | 

यह नक्शा डिजिटल स्काई प्लेटफ़ॉर्म पर लाइव अपडेट किया जाता है । इसकी जाँच किए बिना उड़ान भरने पर जुर्माना लग सकता है या ड्रोन ज़ब्त हो सकता है।

डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर इस नक्से के सम्बन्ध में लाइव अपडेट होता है अर्थात समय के अनुसार इसमें बदलाव संभव है | 

ड्रोन का सञ्चालन करने से पहले  इसका पता लगा लेना आवश्यक है क्यों कि यदि इस नक्से के अनुसरण में आप ड्रोन संचालित नहीं करते हैं अर्थात आप पीला क्षेत्र में अनुमति नहीं लेते हैं या आप लाल क्षेत्र ड्रोन उड़ान हेतु निषिद्ध घोषित क्षेत्र में ड्रोन उड़ाते है तो आपका ड्रोन जप्त किया जा सकता है तथा सजा या जुर्माना भी हो सकता है | 

अनिवार्य बीमा व्यवस्था 

वाहनों की की तरह ड्रोन संचालकों और स्वामियों के लिए तीसरा पक्ष बीमा को आज्ञापक बनाया गया है | भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) बीमा के क्षेत्र में बड़ा नाम है | |
Source :By Life Insurance Corporation Of India 

वाहनों की की तरह ड्रोन संचालकों और स्वामियों के लिए तीसरा पक्ष बीमा को आज्ञापक बनाया गया है | इससे दुर्घटनाओं की स्तिथि में पीड़ितों के लिए मुआवजा सुनिश्चित करने के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं | 

कोई भी व्यक्ति ड्रोन का संचालन नहीं करेगा, जब तक कि वह किसी तृतीय-पक्ष बीमा पॉलिसी द्वारा कवर न हो तथा जो केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में निर्दिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करती हो।

ड्रोन से होने वाली हानि के सम्बन्ध में छतिपूर्ति के इस प्रावधान की अत्यधिक आवश्यकता थी | जिसे नए कानून द्वारा पूरा किया गया है | सामाजिक क़ानून के रूप में यह ड्रोन कानून 2025 का सबसे बेहतरीन प्रावधान है |  

बदलावों की जरूरत क्यों ?

ड्रोन सम्बंधित वर्ष 2021 के नियमों में समयानुकूल कई आवश्यक प्रावधानों का अभाव था |  ऐसी स्थति में उन अभावो को समाप्त करने और क़ानून को अधिक उपयोगी और प्रभावी बनाने के लिए ड्रोन सम्बन्धी पुराने नियमों में बदलाव की अत्यधिक आवश्यकता थी | जिसे ध्यान में रखते हुए निम्नांकित कारणों से बदलाव आवश्यक था :-

सुरक्षा और सार्वजनिक हित 

ड्रोन संचालन से जुडी अनियंत्रित गतिविधियाँ देश और समाज की सुरक्षा और सार्वजनिक हित के किये गंभीर खतरा बन सकती हैं, जैसे कि हवाई क्षेत्र में टकराव या संवेदन शील क्षेत्रों में घुसपैठ आदि | 

गोपनीयता एवं निजता का ख़तरा 

कैमरे युक्त ड्रोन क़ानून विरोधी निगरानी या आँकड़े संग्रह में सक्षम होते हैं | अनियमित और गैरकानूनी ड्रोन गतिविधियों से गोपनीयता के अधिकार के उलंघन की सम्भावनाये रहती हैं | जिससे आम आदमी संकट में पढ़ सकता है | इसलिए बदलाव आवश्यक थे | 

ड्रोन उद्योग को प्रोत्साहन 

भारत में सरकार की ड्रोन प्रोत्साहन की नीतियों के चलते ड्रोन का भविष्य अत्यधिक उज्जवल प्रतीत होता है |
Image by Gábor Adonyi from Pixabay

विभिन क्षेत्रों में बढ़ती ड्रोन सञ्चालन की लोकप्रियता ने ड्रोन बाजार में अत्यधिक सम्भावनायें पैदा कर दी हैं | 

यद्यपि वर्ष 2021 के ड्रोन नियमों में भी ड्रोन उद्योग को प्रोत्साहन दिए जाने के प्रावधान थे | 

लेकिन इनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए और अधिक सुधार की जरूरत महसूस की गई | जिसे इस नए क़ानून द्वारा दूर करने का प्रयास किया गया है | 

भारत में सरकार की ड्रोन प्रोत्साहन की नीतियों के चलते ड्रोन का भविष्य अत्यधिक उज्जवल प्रतीत होता है |   

ड्रोन दुर्घटनाओं पर जवाबदेही 

ड्रोन दुर्घटनाओं या अधिकारों के उललंघन की स्थति में नए क़ानून के तहत प्रभावित पक्ष को मुआवजे का प्रावधान किया गया है | यह अत्यधिक महत्वपूर्ण बदलाव है |
Image by Romy from Pixabay

ड्रोन दुर्घटनाओं या अधिकारों के उललंघन की स्थति में नए क़ानून के तहत प्रभावित पक्ष को मुआवजे का प्रावधान किया गया है | यह अत्यधिक महत्वपूर्ण बदलाव है |   

लेकिन इसमें ड्रोन सञ्चालन से किसी व्यक्ति या समूह के निजता या गोपनीयता के अधिकार का उलंघन होता है या ड्रोन को जानबूझ कर एक हतियार के तौर पर उपयोग किया जाता है | इन स्थतियों में हुए उलंघन और अपराध के लिए नए ड्रोन कानून 2025 में कोई प्रावधान दृश्टिगोचर नहीं होता है | इस विषय पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए | 

ड्रोन दुर्घटना में मुआवजे के लिए दावा कहाँ करना पड़ेगा ?

ड्रोन के उपयोग से उत्पन्न होने वाली दुर्घटनाओं, किसी तीसरे पक्ष की संपत्ति को होने वाली हानि या क्षति, या दोनों से संबंधित दुर्घटनाओं के संबंध में मुआवजे के दावों पर निर्णय देने के उद्देश्य से दावा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में करना पडेगा । 

यह दावा मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 165 के अंतर्गत किया जा सकेगा | 

ड्रोन दुर्घटना में मुआवजे की धनराशि और प्रक्रिया क्या है ?  

बीमा कंपनी, दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर, ऐसी दुर्घटना से संबंधित दावों का निपटान करने के लिए एक अधिकारी को नामित करेगी।

मानवरहित विमान प्रणाली का स्वामी या प्राधिकृत बीमाकर्ता, मानवरहित विमान प्रणाली के उपयोग से उत्पन्न किसी दुर्घटना के कारण मृत्यु या

गंभीर चोट लगने की स्थिति में, कानूनी उत्तराधिकारियों या पीड़ित को, जैसा भी मामला हो, मृत्यु की स्थिति में ढाई(2 1/2) लाख रुपये या गंभीर चोट लगने की स्थिति में 1 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी होगा।

यदि आप प्रतिषिद्ध फ्लाई जोन में  ड्रोन उड़ाते हैं तो क्या होगा ?

यदि कोई  निषिद्ध या नो फ्लाई जोन में ड्रोन उड़ाकर क़ानून का उल्लंघन करता है तो उसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है | प्रथम अपराध की स्थति में 3 महीने की सजा या 50 हजार रूपये का जुर्माने का प्रावधान है | 

दुबारा अपराध करने पर 6 महीने की सजा या 1 लाख रूपये का जर्माने का प्रावधान किया गया है | इसके अलावा कुछ गंभीर उलंघन की स्थति में सजा की अवधि 3 वर्ष तक भी हो सकती है |  

क्या होगा यदि ड्रोन का उपयोग हतियार/सहायता के रूम में होता है ?  

कोई भी व्यक्ति ड्रोन का उपयोग किसी आपराधिक अपराध को अंजाम देने या किसी आपराधिक अपराध को अंजाम देने में सहायता करने के लिए हथियार के रूप में नहीं करेगा। 

अन्यथा की स्थति में यह संज्ञेय और असंयोज्य अपराध होगा, और इसके लिए तीन वर्ष तक का कारावास या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

उपकरण, रिकॉर्ड, दस्तावेजों की जप्ती का प्रावधान क्या है ?

ड्रोन कानून के उलंघन की शिकायत मिलने पर DGCA  या पुलिस अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, रिकॉर्ड या दस्तावेज जप्त कर सकते हैं | इस शक्ति को विशेष रूप से सुरक्षा या सार्वजनिक खतरे की स्थति में उपयोग में लाया जा सकता है | 

ड्रोन सम्बन्धी सरकार की क्या योजनाए हैं ?

"नमो ड्रोन दीदी" योजना 

कृषि उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ड्रोन का भारत में भरपूर उपयोग हो रहा है जिसमे सरकार महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन की खरीददारी पर बहुत अच्छी सब्सिडी प्रदान कर रही है |
Image by DJI-Agras from Pixabay

सरकार द्वारा 2024 में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना 'नमो ड्रोन दीदी' को मंजूरी दी गई है। 

इस DAY-NRLM  तहत 2024-25 से 2025-26 की अवधि के दौरान 14500 चयनित महिला SHG को कृषि उद्देश्यों (वर्तमान में तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग) के लिए किसानों को किराये की सेवाएँ प्रदान करने हेतु ड्रोन उपलब्ध कराना है। 

सरकार द्वारा 2024 में महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना 'नमो ड्रोन दीदी' को मंजूरी दी गई है।
Source:इंडिया.सरकार.भारत/spotlight/नमो-ड्रोन-दीदी

इसके लिए  सरकार ने 1261 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी है। इसमें महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उड़ान के लिए पायलट के रूप में आवश्यक ट्रेनिंग भी दी गई | 

जिसके कारण वे आज कृषि उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सफलता पूर्वक ड्रोन उड़ानों को अंजाम दे रही हैं | 

नमो ड्रोन दीदी योजना के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक ट्वीट भी किया है | यह योजना महिलाओं को कृषि उत्पादन में सशक्त बनाएगी | 

नमो ड्रोन दीदी योजना की मुख्य विशेषताएं

ड्रोन खरीद के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन की लागत का 80 % तक सब्सिडी के रूप में 8 लाख रूपये तक देने का प्रावधान | 

ड्रोन की शेष लागत के लिए ऋण की सुविधा और यह ऋण मात्रा 3% पर होता है | ड्रोन पैकेज के रूप में ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण भी मिलता है | किसानो को ड्रोन स्प्रे सेवा किराए पर दी जाती है | जो आय का एक श्रोत होता है |

क्या है नए ड्रोन क़ानून 2025 का सर्वाधिक लचर पहलू ?

नए कानून में ड्रोन से हुई मृत्यु के लिए मुआवजे के रूप में  मात्रा ढाई लाख रूपये प्रदान किये जाने का प्रावधान अत्यधिक आपत्ति जनक है | 

इस मॅहगाई के युग में एक भारतीय नागरिक की अकाल मृत्यु की कीमत मात्र ढाई लाख रखी गई है | यह हर भारतीय के लिए अत्यधिक निराशा जनक है | 

इसमें संशोधन की अत्यधिक आवश्यकता है | आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वाश है कि सरकार इस महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान देगी |  

निष्कर्ष :

वर्ष 2025 में लाये गए विधेयक अर्थात ड्रोन कानून भारत में ड्रोन संचालन, उनका स्वदेसी उत्पादन, आयात और निर्यात तथा दुर्घटना की स्तिथि में उत्तरदायित्व को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और जबाबदेह बनाने की दिशा में एक महत्व पूर्ण कदम है | 

इन कानूनों में न सिर्फ ड्रोन तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने के प्रावधान किये गए है बल्कि नागरिकों की सुरक्षा, निजता और मुआवजे के अधिकारों को भी संरक्षित करने की प्रावधान किये गए हैं | 

अब ड्रोन उपयोगकर्ता, उत्पादक, आयातक और निर्यातक सभी की जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से परिभाषित की गई हैं | जिसमे विशेष तौर पर पंजीकरण, उड़ान अनुमतियाँ, नो-फ्लाई ज़ोन, और ड्रोन पायलट की जिम्मेदारियों को शामिल किया गया है | 

इन नए कानून 2025 के तहत नियमो का पालन आवश्यक है, अन्यथा की स्थति में सजा और आर्थिक दंड के भी प्रावधान किये गए हैं | इससे स्पष्ट है कि भारत में ड्रोन तकनीकी के सुरक्षित और टिकाऊ विकास की नींब रखी गई है |  

 यह लेख औली के जन्मदिन को समर्पित है | लेख पर अपने विचार साझा करना न भूलें | आप हमसे जुड़े रहिए | 

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