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प्रस्तावना

आज हम ऐसे युग में जी रहे है जहाँ एक ओर आधुनिक तकनीक,सोशल मीडिया ने सम्पूर्ण विश्व को एक गाँव में बदल दिया है | लेकिन दूसरी ओर आधुनिक डिजिटल तकनीकों ने ही उसके जीवन को अत्यधिक जटिल बना दिया है |
आधुनिक डिजिटल तकनीकी दुनिया को बहुत तेजी के साथ बदल रही है | आम आदमी जिसकी डिजिटल तकनीकी तक आसान पहुंच नहीं है, वह इस बदलाव को समझ ही नहीं पा रहा है |
वह जाने -अनजाने में मानव अधिकार उलंघन का शिकार हो रहा है | भारत जैसे 145 करोड़ की जनसंख्या वाले विशाल देश में अभी भी मानव अधिकार के पाठ्यक्रम को कुछ गिने- चुने शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ाया जाता है |
आज हर आम आदमी की मानव अधिकार की मूलभूत जानकारी तक आसान पहुंच आवश्यक है | हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार प्राप्त है, जिसमे मानव अधिकार शिक्षा भी शामिल है |
लेकिन क्या हम सभी को यह पता है कि एक आम इंसान के रूप में हमारे मौलिक अधिकार क्या हैं या हमारे मानव अधिकार क्या हैं ?
इस लेख में हम सरल भाषा में विस्तार से समझेंगे कि मानव अधिकार क्या हैं, इनके प्रकार, कैसे पहचानें मानव अधिकारों का उल्लंघन ? तथा मानवाधिकार उल्लंघन होने पर क्या करें?
यदि आप छात्र, सोशल एक्टिविष्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता या कोई भी जागरूक नागरिक हैं, तो यह लेख या गाइड आपके लिए है |
मानवाधिकार क्या हैं? (What Are Human Rights?)
मानव अधिकारों से तात्पर्य उन अधिकारों से है जो हर व्यक्ति को सिर्फ इस वजह से प्राप्त होते हैं क्यों कि वह एक मनुष्य हैं |
मानव अधिकारों की प्रकृति सार्वभौमिक, अभिन्न, और अविभाज्य होती है | इनमे जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के साथ जीने के अधिकार मुख्य रूप से शामिल हैं |
सयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार मानव अधिकार किसी राज्य द्वारा प्रदान नहीं किये जाते हैं | ये हम सभी लोगों को राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा या कोई अन्य स्थिति कुछ भी हो के आधार पर बिना भेदभाव के प्राप्त होते हैं |
मानव अधिकार सभी लोगों में सार्वभौमिक रूप से निहित होते हैं |
महत्वपूर्ण मानव अधिकार सिद्धांत
मानव अधिकारों के अनुपालन के लिए कुछ सिद्धांत गढ़े गए है | इनमे से कुछ प्रमुख रूप से सार्वभौमिकता, समानता, अविभाजयता और उत्तरदायित्व हैं |
सार्वभौमिकता का तात्पर्य हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलते हैं, चाहे वह विश्व में कहीं भी हो।समानता का अर्थ है कि धर्म, जाति, लिंग, भाषा, नस्ल, वंश तथा अन्य स्तर आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है |
अविभाज्यता का मतलब है कि सभी नागरिक, राजनीतिक, सामाजिक अधिकार लोगों के लिए समान रूप से जरूरी हैं। उत्तरदायित्व में शामिल है कि सरकारें और संस्थाएं इन अधिकारों की रक्षा के लिए उत्तरदाईत्वाधीन होती हैं।
मानवाधिकारों के प्रकार (Types of Human Rights)
मानव अधिकारों को विशेष रूप से तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है | प्रथम श्रेणी में नागरिक और राजनीतिक अधिकार आते हैं | दूसरी श्रेणी में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार आते हैं | तीसरी श्रेणी में सामूहिक अधिकारों को रखा गया है |
1. नागरिक और राजनीतिक अधिकार( First Generation Rights )
इस श्रेणी में ऐसे अधिकार आते है जो किसी भी व्यक्ति के चहुमुखी विकास के लिए आवश्यक हैं | इन्हे प्रथम पीढ़ी के अधिकार भी कहा जाता है |ये अधिकार परम्परागत अधिकार के रूप में उपलब्ध हैं |
इन अधिकारों में जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति की आज़ादी, निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार आदि आते हैं | भारतीय संविधान के भाग तीन में नागरिक और राजनैतिक अधिकारों को शामिल किया गया है |
2. आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार(Second Generation Rights)
इन अधिकारों की उत्पत्ति सिविल और राजनैतिक अधिकारों के बाद हुई है | इन्हे दूसरी पीढ़ी के मानव अधिकार भी कहा जाता है |
इन अधिकारों की श्रेणी में आश्रय का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य और रोजगार का अधिकार, सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने का अधिकार, आदि आते हैं |
आश्रय के अधिकार के अनुसरण में ही मोदी सरकार ने लाखों गरीबों को घर की सुविधा उपलब्ध कराई |
भारत में शिक्षा के मानव अधिकार के अनुसरन में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 बनाया और लागू किया गया है | जो भारत में बच्चों के शिक्षा के अधिकार को लागू करता है।
3. सामूहिक अधिकार (Third-Generation Rights)
समूह विशेष के अधिकारों को सामूहिक मानव अधिकार की श्रेणी में रखा गया है | इन्हे तीसरी पीढ़ी के मानव अधिकार भी माना जाता है |
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अंतराष्ट्रीय विधि केवल व्यक्तिगत अधिकारों को मान्यता नहीं देती है बल्कि समूहों द्वारा सयुंक्त रूप से प्रयुक्त कुछ सामूहिक अधिकारों को भी मान्यता देती है |
इनमे विकास का अधिकार, पर्यावरण संरक्षण का अधिकार, शांति और आत्म-निर्णय का अधिकार, LGBTQ + समुदाय के अधिकार आदि सामूहिक मानव अधिकार कहलाते हैं | यद्यपि ये सभी अधिकार अभी अपने शैशव काल में हैं |
यद्धपि विकास के अधिकार को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल गई है | लेकिन अभी विकास के अधिकार के क्षेत्र को निर्धारित किया जाना शेष है | आम आदमी के लिए बनाई जाने वाली नीतियों में उनकी भागीदारी को विकास के अधिकार का अभिन्न अंग बनाया गया है |
मानव अधिकारों की प्रहरी संस्थाएं
अंतराष्ट्रीय स्तर पर
सयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद (UN Human Rights Council)
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 मार्च, 2006 को मानवाधिकार परिषद के गठन का प्रस्ताव पारित किया।यह परिषद् 47 सदस्यों की होती है |
यह स्थाई है तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रति उत्तरदाई होती है | इसको विश्व में कहीं भी और किसी भी देश में मानव अधिकारों के उलंघन के विश्लेषण का अधिकार होता है |
एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International)
यह विश्व भर में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्य करती है और उनके उल्लंघन पर शोध कार्य भी करती है | यह सरकारों और उनके मातहत संस्थाओं पर मानव अधिकार उल्लंघन रोकने के लिए दबाब बनाने के लिए बड़े बड़े अभियान चलाती है |
इसके कार्यकर्ता और समर्थक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं | यह संस्था मानव अधिकार संरक्षण के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है |
ह्यूमन राइट्स वाच (Human Rights Watch)
ह्यूमन राइट्स वॉच भी एक गैर -सरकारी विश्वव्यापी संघटन है जो मानवाधिकार उल्लंघन पर शोध के अलावा उनके संवर्धन के लिए काम करता है |
यह बाल श्रम, दिव्यांग अधिकार, यातना, मानव तस्करी, महिलाओं के अधिकारों और LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों जैसे मानव अधिकार विषयों पर पूरी दुनिया में कैंपेन चलाता है | यह मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्य करने वाले कुछ गिने चुने संगठनों में से एक है |
भारत में
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
मानव अधिकारों के क्रियान्वयन से सम्बंधित विभिन्न कार्यों को अंजाम देने के लिए राष्ट्रीय संस्थान की आवश्यकता थी | जिसके लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग बनाया गया |
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Source: NHRC Website |
मानव अधिकार आयोग का कार्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में है | यह सम्पूर्ण देश में मानव अधिकार के उलंघन से सम्बंधित शिकायतों को सुनने और उन्हें आवश्यकता अनुसार मुआवजा देने जैसे राहत भरे कार्य करता है |
अनेक मानव अधिकार के उलंघन की घटनाओं के सम्बन्ध में आर्थिक मुआवजे के लिए राज्य सरकारों को अनुमोदित करता है | यह विभिन्न मानवाधिकार मुद्दों पर शोध कार्यों को भी बढ़ावा देता है |
राज्य मानवाधिकार आयोग
राष्टीय स्तर पर मानव अधिकार आयोग के अलावा हर राज्य में मानव अधिकार उल्लंघन की घटनाओं को देखने और उनके सम्बन्ध में जन चेतना फैलाने के लिए राज्य मानव अधिकार आयोग की स्थापना की गई है |
कैसे पहचानें मानव अधिकारों का उल्लंघन ?
मानव अधिकारों के उल्लंघन को पहचानना बहुत आसान है | इसके लिए सिर्फ आपको जानने है अपने मानव अधिकार |
उदाहरण स्वरुप आपको आपकी अभिव्यक्ति से रोका जा रहा है या आपके साथ जाति, धर्म, लिंग,भाषा ,क्षेत्र ,धर्म या अन्य किसी आधार पर भेदभाव हो रहा है या सरकारी संस्थाएं अत्यधिक बल प्रयोग कर रही हैं |
जब शिक्षा, स्वास्थ्य या रोजगार तक आपकी पहुंच में बाधा पैदा की जा रही है या उसमे भेदभाव किया जा रहा है या वंचित किया जा रहा है तो आपको समझ लेना चाहिए कि आप मानव अधिकार उल्लंघन के शिकार हो रहे हैं |
मानवाधिकार उल्लंघन होने पर क्या करें?
मानव अधिकार उलंघन होने पर आप सीधे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं | इसके अलावा आप राज्य मानव अधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं |
ऑनलाइन कंप्लेंट फाइलिंग प्लेटफॉर्म से आप मानव अधिकार उलंघन की शिकायत दर्ज करा सकते हैं | आप ऑनलाइन शिकायत की स्थति को भी ट्रैक कर सकते हैं | इसके अलावा आप सीधे भी शिकायती पत्र राष्ट्रीय या राज्य मानव अधिकार आयोग को भेज सकते हैं |
राष्ट्रीय या राज्य मानव अधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि मानव अधिकार उलंघन की घटना से सम्बंधित कोई मुकद्दमा किसी न्यायालय में तो नहीं डाला है | यह भी सुनिश्चित कर ले कि घटना एक वर्ष से ज्यादा पुरानी न हो |
आपके मानव अधिकार के उलंघन की स्थति में आप अपने जिले के मानव अधिकार न्यायालय में न्याय प्राप्त करने के लिए जा सकते हैं |
यद्धपि भारत में मानव अधिकार न्यायालय स्थापित जरूर कर दिए गए हैं, लेकिन मानव अधिकार विषय की जानकारी और मूल क्षेत्राधिकार के अभाव में इन न्यायालयों में मानवाधिकार उल्लंघन विषय पर मुकदद्मों के नाम पर कुछ भी नहीं है |
न्याय व्यवस्था में मानव अधिकार शिक्षा प्राप्त छात्रों को नियुक्त करने की कोई व्यवस्था अभी तक नहीं बनाई गई है | यह मानव अधिकार शिक्षा की बड़ी विडम्बना है |
मानव अधिकार उलंघन की दिशा में आप मीडिया या सोशल मीडिया का भी उपयोग कर सकते हैं | मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है | अनेक मानव अधिकार उलंघन की घटनाएं मीडिया के कारण ही समाज के सामने उजागर हो सकीं हैं |
निष्कर्ष
आज मानव अधिकारों को कागज़ से निकाल कर वास्तविकता में जीने की जरूरत है | मानव अधिकार केवल शब्द नहीं हैं बल्कि एक अच्छे जीवन और चहुमुखी विकास की बुनियाद हैं |
2025 में दुनिया एक गाँव में बदल चुकी है | आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के युग में दुनिया पहले से अधिक जटिल हो चुकी है | ऐसे समय में मानव अधिकारों की रक्षा करना पहले से अधिक कठिन और आवश्यक हो गया है |
हर व्यक्ति के मानव अधिकार की रक्षा के लिए हम सभी को बिना किसी भेदभाव के संगठित, जागरूक और सक्रिय रहना होगा |
मानव अधिकार शिक्षा तक सभी की आसान पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रबल राजनैतिक इच्छा शक्ति के साथ सरकार और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा|
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ ):-
प्रश्न: मानव अधिकार क्या हैं?
उत्तर: मानव अधिकार वे मूलभूत अधिकार हैं जो हर व्यक्ति को केवल इंसान होने के नाते मिलते हैं। इनमें जीवन, स्वतंत्रता, समानता, शिक्षा और गरिमा से जीने का हक शामिल है।
प्रश्न :मानव अधिकार क्यों आवश्यक हैं |
उत्तर : मानव अधिकार मनुष्य के चहुमुखी विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं | इनके बिना मनुष्य का सर्वागीण विकास संभव नहीं होता है |
प्रश्न : मानव अधिकार की कितनी श्रेणियां हैं ?
उत्तर : मानव अधिकारों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है | इन्हे प्रथम पीढ़ी के अधिकार, दूसरी पीढ़ी के अधिकार और तीसरी पीढ़ी के अधिकार के रूप में बाँटा गया है | तीसरी पीढ़ी के अधिकारों को सामूहिक अधिकार भी कहते हैं |
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