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शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

डिजिटल डिटॉक्स: टेक्नोलॉजी से ब्रेक लेकर मानव अधिकारों की सुरक्षा कैसे करें?

आज डिजिटल टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन के हर हिस्से में अपना स्थान बना लिया है | एक लड़की डिजिटल उपकरणों के साथ |
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प्रस्तावना 

आज का दौर डिजिटल टेक्नोलॉजी की क्रांति का दौर है | आज डिजिटल टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन के हर हिस्से में अपना स्थान बना लिया है | 

चाहे वो कुछ भी हो -हमारे काम हों, आपसी संवाद हों, मनोरंजन हो, घूमना-फिरना हो, या सामाजिक मेल -जोल हो | डिजिटल टेक्नोलॉजी ने मोबाइल, टेबलेट, कंप्यूटर, लेपटॉप जैसे आधुनिक औजार उपलब्ध कराएं हैं | जिनके कारण सम्पूर्ण विश्व एक गाँव के रूप में तब्दील हो गया है|

डिजिटल टेक्नोलॉजी के ये औजार इतने सशक्त हैं  कि इनके कारण आम आदमी का जीवन सरल और सुगम बन गया है | लेकिन दूसरी ओर मनुष्य के समक्ष शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक समस्याएं भी खड़ी कर दी हैं | 

प्रश्न यह है की क्या इस डिजिटल टेक्नोलॉजी की कीमत हमें चुकानी होगी ? क्या इस आधुनिक डिजिटल टेक्नोलॉजी से हमारा स्वास्थ्य भी प्रभावित  हो रहा है ? 

इस लेख में हम जानेगे कि डिजिटल डिटॉक्स क्या है ? और क्यों यह हमारे मानव अधिकारों की रक्षा के लिए एक अच्छा और आवश्यक उपचार है? 

साथ ही जानेंगे डिजिटल डिटॉक्स लेने की कला और इसके फायदे | डिजिटल टेक्नोलॉजी से ब्रेक लेने के प्रभावी तरीकों को भी समझने का प्रयास करेंगे | 

डिजिटल डिटॉक्स क्या है ?

डिजिटल डिटॉक्स का तात्पर्य ऐसी छुट्टी से है जो अपने रोज मर्रा के डिजिटल उपकरणों या डिजिटल स्क्रीन से कुछ समय के लिए या अधिक समय के लिए ली जाती है | 

जिससे हमारा मस्तिष्क समय -समय पर डिजिटल टेक्नोलॉजी के शोर शराबे से दूर होकर पूरी तरह कुछ आराम पा सके | इस छुट्टी का मतलब सिर्फ डिजिटल टेक्नोलॉजी से दूरी नहीं है बल्कि डिजिटल टेक्नोलॉजी के चलते अनायास खोते जा रहे  शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के पुनर्निर्माण और दुबारा पाने की प्रक्रिया है | 

फोन की लत लगने से हुईं कुछ हृदय बिदारक घटनाएं 

मोबाइल फोन की लत और उसके गैर जिम्मेदाराना उपयोग से अनेक लोग ट्रैन से काट कर जान गवां देते है  |
Source: Pixabay

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में लगभग 14 साल की उम्र के दो लड़के पद्मनाभपुर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत रिसाली इलाके में रेलवे ट्रैक पर बैठकर मोबाइल फोन पर गेम खेल रहे दो लड़कों की ट्रेन की चपेट में आने से  मौके पर ही मौत हो गई। पता चला कि दोनों अपने मोबाइल फोन में इतने मग्न थे कि वे दल्ली राजहरा-दुर्ग लोकल ट्रेन का हॉर्न नहीं सुन सके। 

जर्मनी में एक रेल दुर्घटना हुई जिसमे 11 लोग मारे गए | दुर्घटना के सम्बन्ध में ट्रेन नियंत्रक को गिरफ्तार कर लिया गया | अभियोजकों को संदेह था कि दुर्घटना के समय वह कंप्यूटर गेम में मग्न था

राजस्थान के जयपुर में बेटे ने वाई-फाई विवाद के कारण मां की बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या कर दी | ये घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि डिजिटल टेक्नोलॉजी किस कदर मनुष्य के दिलो-दिमाग पर हावी हैं | 
एक और घटना में केरल में मोबाइल की लत पर 63 वर्षीय माँ द्वारा 34 वर्ष के बेटे को टोके जाने से नाराज बेटे ने  माँ की ह्त्या कर दी | 

डिजिटल युग, डिजिटल डिटॉक्स और मानव अधिकार 

उत्तर प्रदेश स्थित बरेली में पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर स्टेशन के निकट फोन पर चिपके दो नाबालिग लड़के रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे | इस दौरान ट्रेन के इंजन की चपेट में आने से दोंनो की मौत हो गई। ये मोबाइल की लत का गंभीर परिणाम है | 

मानव अधिकार सार्वभौमिक होते हैं | ये प्रत्येक व्यक्ति  को स्वाभाविक और सामान रूप से प्राप्त होते हैं |आज की उभरती डिजिटल दुनिया में मानव अधिकारों का उपभोग बहुत जटिल हो गया है|

डिजिटल युग में मानव अधिकारों के नए -नए आयाम जुड़ गए हैं | उदाहरण के तौर पर ये आयाम हैं गोपनीयता का अधिकार, सूचना तक पहुंच का अधिकार, डिजिटल स्वंत्रता और अभिव्यक्ति का अधिकार, मानसिक स्वास्थ्य का अधिकार | 

इस सम्बन्ध में यह समझना जरूरी है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी के अत्यधिक और गैरजिम्मेदाराना उपयोग से आपके अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं | बस यहीं पर डिजिटल डिटॉक्स का महत्व सामने आता है  

1. डिजिटल डिटॉक्स और मानव अधिकारों में सम्बन्ध 

विश्व स्वास्थ्य संघटन ने मानसिक स्वास्थय को स्वास्थय के अधिकार का अभिन्न अंग माना है | डिजिटल उपकरणों के लगातार और अनियंत्रित उपयोग से न सिर्फ डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कार्य करने वाले, बल्कि आमजन जिनमे नौनिहाल बच्चे भी शामिल हैं, में तनाव, चिंता, डिप्रेशन, नीद की कमी जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं | जो की हम सभी के लिए एक चिंत्ता का विषय है तथा मानव अधिकारों के लिए भी गंभीर ख़तरा है | 

शोध कार्यों से पता चलता है कि 13 साल की उम्र से पहले स्मार्टफोन का इस्तेमाल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य  के लिए हानि कारक है
Source: Pixabay

एक शोध के परिणाम स्वरूप पाया गया कि 13 साल की उम्र से पहले स्मार्टफोन का इस्तेमाल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य  के लिए हानि कारक है | 

माता पिता को बच्चों को स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया का उपयोग करने से रोकना चाहिए | 

ऐसी स्तिथि में आसानी से और निःशुल्क रूप में उपलब्ध डिजिटल डिटॉक्स उपाय से मानसिक शकुन और शांति मिलती है ,तनाव घटता है ,डिप्रेशन समाप्त होता है | इस प्रकार जीवन की गुणवत्ता और वैलनेस बढ़ती है | 

2. गोपनीयता का अधिकार 

डिजिटल युग में व्यवसायिक कंपनियां व्यक्ति के ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करती हैं | जिससे आपका डेटा कंपनियों के पास पहुंच जाता है और एकत्रित हो जाता है |
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डिजिटल युग में व्यवसायिक कंपनियां व्यक्ति के ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करती हैं | जिससे आपका डेटा कंपनियों के पास पहुंच जाता है और एकत्रित हो जाता है | 

जिसके बाद कंपनियां आपके डेटा का विश्लेषण कर आपके व्यवहार  को समझ लेती हैं और फिर उस व्यवहार  को  नियंत्रित करने लगती हैं | 

इस दौरान कंपनियां उसी तरह की सामिग्री आपकी ओर प्रेषित करतीं हैं जिसमे आपने अपनी दिलचस्पी दिखाई है | लेकिन जब हम डिजिटल डिटॉक्स करते हैं तो  हम डेटा को नियंत्रित कर रहे होते हैं|

इस प्रकार हम अपनी निजता की भी रक्षा कर रहे होते हैं | डिजिटल डिटॉक्स हमारे निजता के अधिकार की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | 

3. समय, डिजिटल डेटॉक्स और जीवन का अधिकार 

हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपना जीवन तथा समय अपने अनुसार व्यतीत करे |  दिग्गज डिजिटल कम्पनिया हमारा आचरण ट्रेक कर लेती हैं | 

कंपनियां अल्गोरथिम का उपयोग करते हुए हमारे चॉइस की सामिग्री आगे बढ़ती रहती हैं इसके कारण आम आदमी एक के बाद एक सामिग्री को लगातार बिना रुके उपयोग करता रहता है | 

ऐसी स्थति में उन्हें होश ही नहीं रहता कि दरअसल वे कर क्या रहे है ? असल में उन्हें डिजिटल सामिग्री की लत लग जाती है और आदमी अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की चिंता नहीं करता है | जबतक कि उसे उपचार की जरूरन महसूस नहीं होने लगती है | 

यदि हम लगातार डिजिटल उपकरणों में व्यस्त्त रहेंगे तो निश्चित रूप से हमारा पारिवारिक जीवन प्रभावित होगा, जिससे धीरे- धीरे परिवार, दोस्त, शारीरिक स्वास्थ्य तथा मानसिक स्वास्थ्य के साथ साथ व्यक्तिगत विकास पर असर पडेगा | 

डिजिटल डिटॉक्स हमें वास्तविक जीवन से जुड़े रहने तथा जीवन के अधिकारों को दुबारा स्थापित करने में मदद करता है |  

डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग क्यों है खतरनाक 

1.  शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव 

डिजिटल टेक्नोलॉजी की लत या मजबूरी के चलते आज- कल व्यक्ति अनेक तरह की स्वास्थ्य समस्याओं, जिनमे मानसिक समस्याएं भी शामिल हैं, से जूझने को विवश है | 

2. नींद की गुणवत्ता में कमी का आना

डिजिटल उपकरणों की लत के चलते लोग बिना रुके मनोरंजन, गेम या कार्य करते रहते है, जिसके कारण अनेक लोग नींद की समस्या के शिकार हो जाते हैं | कभी कभी यह समस्या इतनी बढ़ जाती है कि यह मानसिक बीमारी का रूप धारण कर लेती है |

3. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई  

डिजिटल उपकरणों के उपयोग की लत के चलते अनेक लोगों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी देखी गई है | 

यह कमी उस व्यक्ति  के विकास में बड़ी बाधा बनती है | सवास्थ्य शरीर और स्वास्थ्य मन में ही ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पाई जाती है |   

4. पारिवारिक तथा सामाजिक दूरी में वृद्धि 

डिजिटल उपकरणों पर अधिक समय बिताने के कारण परिवार और समाज में आदमी का उठना  बैठना कम हो जाता है | 

जिसके परिणाम स्वरूप आदमी परिवार और समाज से कट जाता है और संकट के समय वह स्वयं को अकेला पाता  है |  

ऐसी स्थति में वह छोटी मोटी पारिवारिक समस्याओं को झेलने में असमर्थ पाता है | डिजिटल डिटॉक्स का उपयोग नहीं किये जाने पर अक्सर यह स्थति आत्मदाह जैसे कदमो की ओर ले जाती है |  

डिजिटल डिटॉक्स लेने के फायदे क्या हैं ? 

1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार 

डिजिटल डिटॉक्स की कला को अपनाने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है क्यों कि शरीर आखिर शरीर होता है | शरीर को भी किसी भी काम को करने के दौरान बीच बीच में आराम की जरूरत होती है | 

डिजिटल डिटॉक्स में कुछ और नहीं बल्कि डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने के दौरान बीच- बीच में आराम करना होता है | जिससे लगातार काम के कारण बढ़ रही शारीरिक समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद मिलती है |  

2. नींद की गुणवत्ता में सुधार 

डिजिटल स्क्रीन पर लगातार काम करते रहने से आखों  पर बुरा प्रभाव पड़ता है यहाँ तक कि व्यक्ति की नींद भी बुरी तरह प्रभावित हो जाती है | 

आजकल ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम का चलन तेजी से बढ़ा है | इस कार्य के दौरान कभी दिन और कभी रात अर्थात कब रात की ड्यूटी लग जाए और कब दिन की ड्यूटी लग जाए पता ही नहीं रहता है |

इसके कारण भी डिजिटल स्क्रीन पर काम करने वाले लोगों की नींद की समस्याओं का सामना करना पड़ता है | लेकिन डिजिटल डिटॉक्स अपनाकर नींद जैसी गंभीर समस्या से निजात पाई जा सकती है | 

3. सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों में सुधार 

लगातार डिजिटल उपकरणों पर काम करना या मनोरंजन करना या गेम खेलना व्यक्ति को रूखा, चिड़चिड़ा और अंतर्मुखी बना देता है, जिसके कारण उसका परिवार और समाज से संपर्क समाप्त हो जाता है | 

परिवार और समाज के साथ संबंधों की पुनर्स्थापना में डिजिटल डिटॉक्स का उपयोग महत्वपूर्ण योगदान देता है | इससे पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में सुधार की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं |

4. सृजन क्षमता में सुधार 

व्यक्ति के डिजिटल स्क्रीन या डिजिटल उपकरणों के साथ अधिक समय गुजारने के कारण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आ जाती है और इस गिरावट के कारण उसकी सृजन शीलता में कमी आ जाती है | 

डिजिटल डिटॉक्स उपचार विधि के उपयोग से इस कमी में सुधार किया जा सकता है | 

5. आधुनिक जीवन की हानिकारक लत से मुक्ति  

आधुनिक जीवन में मोबाइल की लगती हानिकारक लत ,जिसे व्यक्ति स्वयं नहीं समझ पाता ,जब तक उसे कोई शारीरिक या मानसिक बीमारी न घेर ले |
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लगातार डिजिटल उपकरणों के उपयोग की लत लोगों के लिए नरक का द्वार खोल रही है | 

इन उपकरणों की लत के चलते छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक उग्र और हिंसक हो रहे हैं | किसी भी चीज की लत हमेशा बुरी होती है | 

डिजिटल उपकरणों की लत समाज में एकाकीपन पैदा कर रही है जिससे अनेक तरह की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याएं उत्त्पन्न हो रही हैं | 

लोगों में इस लत को छुड़ाने के लिए डिजिटल डिटॉक्स उपचार विधि एक बहुमूल्य निःशुल्क और सर्वसुलभ साधन है |  

डिजिटल डीटॉक्स कैसे लें ? जानें इसकी कला 

1. धीरे -धीरे शुरू करें 

डिजिटल डिटॉक्स प्रक्रिया को अपनाने का सही तरीका उसे धीरे -धीरे शरु करने का होता है | जिस तरह से मधपान की लत का शिकार व्यक्ति यदि एक साथ मधपान छोड़ता है तो वह बीमार पड़ जाता है | 

इस प्रक्रिया में शरुआती समय में छोटे -छोटे ब्रेक देने है तथा उसके बाद उसे आवश्यकता अनुसार बढ़ाते जाएँ | 

2. मोबाइल पर नोटिफिकेशन नियंत्रित करें 

आप अपने डिजिटल उपकरण के मालिक हैं | आप आसानी से नोटिफिकेशन विकल्पों को सेट कर सकते है | यदि आप एक साथ सभी नोटिफिकेशन्स को बंद करना चाहते है तो आप इसे फोन सेटिंग में जाकर डू नॉट डिस्टर्ब (DND) मोड  पर लगा सकते हैं | 

3. डिजिटल समय ट्रैकिंग सिस्टम से सोशल मीडिया की समय सीमा तय करें 

सबसे पहले आप अपने फोन में स्क्रीन टाइम फीचर /डिजिटल समय ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग करे |  जिससे आपको यह पता लग सकेगा की आप सोशल मीडिया पर कितना समय बिताते है | 

उसके बाद आधा घंटे से लेकर 1 घंटे  तक अपनी समय सीमा को निर्धारित करने का प्रयास करें | इसके लिए फोन में ऑटो ऑफ का प्रावधान सेट करें | धीरे -धीरे आप इसका जादुई लाभ लेने लगेंगे | 

4. योगा या ऑफ लाइन क्रियाकलापों में भाग लें 

डिजिटल डिटॉक्स के लिए योगा एक बेहतर विकल्प
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डिजिटल डिटॉक्स के लिए आप ऑफ लाइन क्रियाकलापों में हिस्सा ले सकते हैं | 

इससे आपकी पारवारिक और सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ेगी और आपका भी एकाकीपन दूर होगा |

इसके साथ -साथ आपके पास योग करने का बेहतरीन विकल्प भी उपलब्ध है | 

भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने योगा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए बहुत काम किया है | मोदी के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने 2014 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया, इस प्रस्ताव का 175 देशों ने समर्थन किया था। 

यहाँ तक कि उच्च शिक्षा में योग विषय में स्नातकोत्तर और पीएचडी के पाठ्यक्रम चालू करा दिए हैं | जिन्हे विश्व विद्यालय अनुदान आयोग, दिल्ली ने भी मान्यता प्रदान की है |  

5. विपसना कार्यक्रमों में भाग लें 

डिजिटल डिटॉक्स के लिए विपसना एक बेहतरीन उपचार
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विपसना करने से मन की शांति और एकाग्रता का विकास,मानसिक चिंता और तनाव में कमी, भावनात्मक सुदृढ़ता, शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार, आत्म विश्वास में बृद्धि, नकारात्मक विचारों में कमी जैसे लाभ मिलते हैं | 

इसके लिए भारत में अनेक केंद्र संचालित हो रहे हैं | इसमें विपश्यना शुरू होते ही आपसे आपके डिजिटल औजार लेकर अलग रख दिए जाते है |

अत्यधिक आवश्यकता पर ही आप डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं | यह डिजिटल डिटॉक्स के अत्यधिक प्रभावशाली विधियों में से एक है | 

7. सामाजिक या पारिवारिक क्रियाकलापों में हिस्सा लें  

पारिवारिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए जाते भारतीय पुरुष और महिलाये और बच्चे
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डिजिटल डिटॉक्स की सर्वाधिक व्यवहारिक और स्वभाविक विधि परिवार और समाज के क्रियाकलापों में भागीदारी सुनिश्चित करना है | 

परिवार और समाज की सामान्य गतिविधियों में भागीदारी के कारण व्यक्ति  का ध्यान बात जाने के कारण उसका डिजिटल डिटॉक्स स्वयं संभव हो जाता है उसके लिए उसे कोई विशेष प्रयास नहीं करने पड़ते हैं |  


निष्कर्ष 

जब आप परिवार और समाज की अनवरत चलने वाले सामान्य क्रियाकलापों में भाग लेते हैं तो डिजिटल डीटॉक्स  स्वाभाविक रूप से हो जाता है |इससे आत्मबल में बृद्धि होती है और एकाकीपन भी समाप्त होता है | जिससे शारीरिक व् मानसिक  स्वास्थ्य बेहतर स्तिथि में रहता है | 

डिजिटल टेक्नोलॉजी आज हर व्यक्ति के जीवन को सरल और सुलभ बनाने के लिए जरूरत है लेकिन उसकी लत उसके लिए उतनी ही विनाशकारी है | इसकी लत को कम करने या समाप्त करने के लिए हमारे पास एक निःशुल्क और आसानी से सुलभ उपचार भी उपलब्ध है | 

आज डिजिटल डिटॉक्स न केवल हर व्यक्ति की जरूरत है बल्कि यह मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए भी आवश्यक है |  

अनेक शोध रिपोर्टों से स्पष्ट हो चुका है कि निरंतर डिजिटल टेक्नोलॉजी से जुड़ाव हमारे शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और निजता के अधिकार पर भी विपरीत प्रभाव डाल रहा है | 

ऐसे में  डिजिटल टेक्नोलॉजी तथा उपकरणों से समय-समय पर ब्रेक लेना शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य की भलाई के लिए आवश्यक है |  

डिजिटल डिटॉक्स के जरिये व्यक्ति न केवल अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है, बल्कि वह अपने  मानव अधिकारों को भी सुरक्षित कर सकता है | 

इस तरह, डिजिटल डिटॉक्स का अभ्यास स्वास्थ समाज के निर्माण में सहायक हो सकता है | जहाँ  डिजिटल टेक्नोलॉजी मानव  के शोषण का हतियार न हो  बल्कि उसकी सेवा में उसकी भलाई के लिए हो | 

अतः डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ डिजिटल डेटॉक्स का उपयोग करते हुए  न सिर्फ हम अपने  मानव अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि  एक  स्वंत्रत, संतुलित, सुरक्षित और  टिकाऊ डिजिटल भविष्य की आशा भी कर सकते हैं |

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न( FAQ )

प्रश्न : डिजिटल डिटॉक्स क्या है?

उत्तर : डिजिटल डिटॉक्स डिजिटल टेक्नोलॉजी और उपकरणों जैसे इंटरनेट ,मोबाइल फोन या कंप्यूटर के उपयोग से कुछ समय तक दूर रहने या स्थाई तौर पर बंद कर देने की एक सोची -समझी प्रक्रिया है |  इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपकरणों की उपयोग से  कुछ समय के लिए आराम करना होता है | 

जिससे मानसिक स्वास्थय, पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों और दैनिक गतिविधियों में सुधार हो सके | स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इंटरनेट जैसे डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकी के उपयोग को सीमित करने या पूरी तरह से बंद करने की एक सचेत प्रक्रिया है, ताकि स्क्रीन टाइम से ब्रेक लिया जा सके और तकनीक पर निर्भरता कम हो सके। 

इसका मुख्य उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, वास्तविक दुनिया की गतिविधियों और रिश्तों पर ध्यान केंद्रित करना, तथा स्क्रीन के माध्यम से होने वाले तनाव और व्याकुलता को कम करना है। 

विशेष : दोस्तों टिप्णी और फॉलो करना न भूलें | आप बने रहिये हमारे साथ | 





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