प्रस्तावना
आज भारतीय विकास का अधिकांश एजेंडा सतत विकास के लक्ष्यों में दृष्टिगोचर होता है -नरेंद्र मोदी भारत के प्रधान मंत्री द्वारा वर्ष 2016 में सयुक्त राष्ट्र सतत विकास समिति के समक्ष सम्बोधन
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा नए भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए दृढ़ निश्चय के साथ विगत 10 वर्षों से अनवरत प्रयास किये जा रहे |
नरेंद्र मोदी के अनुसार नए भारत की परिकल्पना में न सिर्फ विकास बल्कि सतत विकास केंद्र बिंदु है |
अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकारों की श्रंखला पर दृष्टि डाले तो स्पष्ट होता है की सतत विकास की अवधारणा मानवाधिकार सिद्धांतों का अभिन्न अंग है |
प्राचीन सभ्यता से लेकर बर्तमान तक मानव समाज अपने विकास को लेकर सदैव चिंतित और चौकन्ना रहा है | मानव समाज कल्याण की प्राचीन काल से प्रारम्भ हुयी विकास यात्रा बिना किसी रुकावट और अंत के आज भी अनवरत जारी है |
लेकिन विकार की अंधाधुंध होड़ और मानव की लालची प्रबृति ने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इतना बढ़ा दिया कि उसका प्रत्यछ और अप्रत्यछ प्रभाव न सिर्फ मानवीय जीवन पर बल्कि पशु, पक्षी और पौधों पर भी स्पष्ट रूप से दृश्टिगोचर होने लगा |
उक्त के कारण विश्वभर में व्यक्तियों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि मानव की इस लालची प्रबृति के कारण वर्तमान और भविष्य की पीड़ी पर क्या परिणाम पडेगा ? क्या वर्तमान पीढी को इसके गंभीर परिणाम विभिन्न रूपों में भुगतने पड़ रहे है और क्या भविष्य की पीढी को भी इससे अधिक गंभीर परिणाम भुगतने को मजबूर होना पडेगा अर्थात विकास की अवधारणा अब कही पीछे छूट गयी है |
क्या विकास का अधिकार बना मानव अधिकार?
अब सम्पूर्ण विश्व में सतत विकास की अवधारणा, जो कि विकास का ही नया अवतार है, को अधिक महत्त्व दिया जा रहा है |
वर्त्तमान में भारत के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती नयी पीढ़ी के भविष्य के लिए सतत विकास की अवधारणा को आत्मसात कर उसके क्रियान्वयन पर अधिक बल देना है|
जिसके लिए नवोन्वेषी सोच और शोध दोनो की आवश्यकता है | वर्तमान में विकास के अधिकार को भी एक मानव अधिकार के रूप में संयुक्त राष्ट्र (UN) महासभा ने स्वीकृत और अंगीकृत कर लिया है |
मानव अधिकार क्या हैं ?
मानव अधिकार वे अधिकार है जो व्यक्तियों को उनके मानव होने के नाते प्राप्त होते हैं।ये किसी राज्य या राजा द्वारा प्रदान नहीं किये जाते है |
ये अधिकार सार्वभौमिक है और ये बिना किसी राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति का विभेद किये बिना सभी को सामान रूप से प्राप्त होते हैं |
मानव अधिकार हर वियक्ति को बिना किसी विभेद और दुराग्रह के चहुमुखी विकास का अवसर प्रदान करते हैं |
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR),1948 क्या है ?
वर्ष 1948 में संयुक्त राष्ट्र (UN) महासभा ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) को अंगीकार किया | इस घोषणा में व्यक्ति के चहुमुखी विकास और गरिमा के लिए आवश्यक मानव अधिकारों की एक श्रंखला प्रस्तुत की गयी है जिसमे भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, काम आदि के मानव अधिकार शामिल हैं |
उक्त मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) में दिए गए मानव अधिकारों का क्रियान्वयन विधिक तौर पर बाध्यकारी नहीं हैं इनका उपयोग संयक्त राष्ट्र सदस्य देश अपने यहां कल्याणकारी नैतिक सिद्धांतों के रूप में कर सकते हैं | जैसे कि भारतीय संविधान में नीतिनिर्देशक तत्व |
संकल्प से सिद्धि: नरेंद्र मोदी का नया भारत
प्रधान मंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी नए भारत की संकल्पना को सिद्धि में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहे है और यही से सही मायने में नए भारत की अवधारणा परिपक़्वता की और अग्रसर होती हुई प्रतीत होती है |
यद्यपि पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के न्यू इंडिया की अवधारणा को भारत में कंप्युटरीकरण की बुनियाद रखने के रूप में देखा जाता |
महात्मा गाँधी, डॉक्टर आंबेडकर, स्वामी विवेकानंद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदि को पहले ही उद्घृत किया जाता रहा है कि उक्त महापुरुष किस प्रकार के भारत की संकल्पना करते आए हैं |
नए भारत की संकल्पना क्या है ?
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए भारत की संकल्पना क्या है ? अर्थात मोदी कैसा नया भारत चाहते है ? इसे समझने के लिए मोदी जी द्वारा विभिन्न अवसरों पर दिए गए भाषणों और सम्बोधनों का विश्लेषण करने पर नए भारत का एक सक्षिप्त ढांचा उभर कर सामने आता है जो निम्न प्रकार है :
वर्ष 2019 तक देश भर में पूर्ण स्वछता का लक्ष, प्रमुख नदियों को प्रदुषण मुक्त करने का लक्ष्य, वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास की व्यवस्था का लक्ष्य,ऊर्जा के क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा श्रोतों का उपयोग अधिक से अधिक बढ़ाना, स्वयं के उद्यम स्थापित करने के लिए अधिक से अधिक युवाओं को कार्य कुशल बनाना, विदेशों में कुशल कामगारों की आपूर्ति के लिए उन्हें अधिक से अधिक कार्य कुशल बनाना, नयी स्वाथ्य नीति के तहत सभी के लिए स्वास्थय सुविधयों की व्यवस्था, सभी के लिए शिक्षा की व्यवस्था, ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वव्यापी डिजिटल तकनीकी की पहुंच उपलब्ध करना, सभी किसानो की सिचाई के साधनो तक पहुंच, सभी किसानो को ऑनलाइन बाज़ार की सुविधा उपलब्ध करना, विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक उत्कृष्टता हासिल करने का लक्ष्य, रक्षा के क्षेत्र में सम्पूर्ण आत्म निर्भरता के साथ साथ निर्यात का लक्ष्य, स्मार्ट शहरों की संकल्पना को ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाना |
दिव्यांगों के मानव अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन, समाज में मैला ढ़ोने की प्रथा का समूल नाश तथा उनके सामाजिक उत्थान के लिए सरकारी मुआवजा, तृतीय लिंग (थर्ड जेंडर )के मानव अधिकारों का संवर्धन और संरक्षण की वयवस्था आदि अन्यं |
अर्थात नरेंद्र मोदी की नए भारत की उपरोक्त संकल्पना पर दृष्टि डाले तो स्पष्ट होता है कि मोदी दरअसल विकास के मानव अधिकार और सतत विकास की अवधारणा पर अधिक बल देना चाहते है |
अन्य शब्दों में कहें तो मोदी के नेतृत्व में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में भारतीय नागरिकों के मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन पर अत्यधिक बल दिया जाना प्रतीत होता है |
संकल्पा से सिद्धि में नवाचार एवम प्रोधोगिकी का उपयोग
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर नए भारत की परिकल्पना को सिद्धि में बदलने के रास्ते में आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए नवाचार एवम प्रोधोगिकी का सजगता से लाभ लिए जाने पर विशेष बल दिया जा रहा है |
इस विचार का समर्थन पंडित दीनदयाल उपाधियाय ने कई दशक पूर्व निम्न शब्दों में किया था, "पच्श्चमी विज्ञानं और पश्चिमी जीवन शैली दो अलग अलग चीजे हैं |
चूकि पच्श्चमी विज्ञानं सावभौमिक है और हमें आगे बढ़ने के लिए इसे अपनाना चाहिए लेकिन पच्श्चमी जीवन शैली के सन्दर्भ में यह सच नहीं है |''
नरेंद्र मोदी द्वारा एक कर्यक्रम में कहा गया कि," न्यू इंडिया कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है यह सवा सौ करोड़ लोगों का सपना है| सभी देशवासी अगर संकल्प करें और मिलकर कदम उठाते चले तो न्यू इंडिया का सपना हमारे सामने सच हो सकता है | "
"मन की बात" में न्यू इंडिआ के सपने का जिक्र
30 मार्च 2017 को "मन की बात " कार्यक्रम में बोलते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि , "भारत का हर नागरिक संकल्प करे की कि में सप्ताह में एक दिन पेट्रोल,डीजल का उपयोग नहीं करूँगा तो न्यू इंडिया का सपना पूरा होगा |"
इसके मायने यह भी हैं कि वर्तमान पीढ़ी के पास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में कमी करके इसे आने वाली भविष्य की पीढ़ियों के लिए बचाया जा सके |
इसके आलावा पेट्रोल और डीजल से होने वाले प्रदुषण के मानव जाति पर होने वाले गंभीर परिणामो से भी बचाया जा सकता है |
युवा भारत न्यू ऐज पावर
मोदी जी के उक्त सम्बोधन का तात्पर्य मोदी जी द्वारा सतत विकास की अवधारणा पर अधिक बल देना है | जिससे न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी को एक अच्छा जीवन मिलेगा बल्कि भविष्य की पीढ़ियां भी स्वयं को सुरक्षित महसूस कर सकेगी |
वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार द्वारा लिखित तथा राष्ट्रीय सहारा के दिनांक 1 अप्रैल 2017 के अंक में "क्रमवार विकसित हुआ है मोदी का न्यू इंडिया का सपना" शीर्षक से प्रकाशित लेख में मोदी जी द्वारा श्रीराम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स में दिए गए भाषण को उद्घृत किया है जिसके अनुसार मोदी जी ने भारत के सन्दर्भ में अपनी कल्पना का एक अंश देश के समक्ष रखा |
उन्होंने कहा कि, "हमारी राजनैतिक बिरादरी चुनावों को केवल न्यू ऐज वोटर के रूप में देखती है पर में इसे भिन्न रूप में देखता हूँ मेरे लिए युवा भारत न्यू ऐज पावर है | "
मोदी के मन में मानव अधिकारों की गहरी पैठ
मानव अधिकारों को न जानने और समझने वाले सभी वियक्तियों को यह जानकार अचरज होगा कि नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया की आधारशिला भी मानव अधिकार सिद्धांतों की बुनियाद पर स्थापित है |
नरेंद्र मोदी ने अत्यधिक सूजबूझ के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य मानवाधिकारों के सिद्धांतों का सम्मान करते हुए न्यू इंडिया की संकल्पना बनाने और उसको मूर्त रूप देने के लिए उनका उपयोग किया है |
उदाहरण के तौर पर स्वछता अभियान जिसका स्पष्ट प्रभाव सम्पूर्ण भारत में दृष्टिगोचर होता है | जो सयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स का हिस्सा है जिसे नरेंद्र मोदी ने एक बड़े राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में बदल दिया और उसे समाज का अभिन्न अंग बना दिया |
यद्यपि ऐसा नहीं है कि पूर्व सरकारों ने स्वछता पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उस दौर में स्वछता अभियान समाज का अभिन्न अंग नही बन सका तथा वह सिर्फ दीवारों पर पोस्टरों के रूप में स्वछता सम्बन्धी नारों तक सीमित रह गया |
मोदी और स्वछता संबंधी मिलेनियम डेवलपमेंट गोल
कहना न होगा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गहन स्वछता अभियान चलाकर भारत में मिलेनियम डेवलपमेंट गोल को पूरा करने के लिए गंभीरता से प्रयास किये गए |
मिलेनियम डेवलपमेंट गोल कुछ और न होकर मानव अधिकारों की एक बृहद श्रंखला है | जिन्हे विश्वभर में सयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर उनकी सरकारों द्वारा पूरा किया जाना अंतराष्ट्रीय समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है |
सतत विकास बनाम खंडित विकास
सतत विकास बनाम खंडित विकास एकदम विपरीत अवधारणाएं हैं | ब्रूटलैंड के अनुसार, "सतत विकास ऐसा विकास है जो भविष्य की पीढ़ी की समस्त आवश्यकताओं को पूरा करते हुए किसी भी प्रकार का समझौता किये बिना बर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है |"
खंडित विकास की परिकल्पना के मुखर विरोधी रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तरह नरेंद्र मोदी भी खंडित विकास की अवधारणा के विरोधी हैं | इसका पता इस बात से लगता है कि नरेंद्र मोदी"सबका साथ सबका विकास " नारे के समर्थक रहे हैं और अक्सर उस पर बल देते आये है |नरेंद्र मोदी के अनुसार "सबका साथ सबका विकास" यह सिर्फ नारा नहीं है | हमारी कोशिश है इसे जीने की |
मोदी सरकार की मानवाधिकार संवर्धक कुछ नीतियाँ
मोदी सरकार द्वारा जनधन योजना प्रारम्भ करने के बाद से अभी तक 52.13 करोड़ लाभार्थी हो चुके हैं | 07 मई 2024 तक प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत जारी किये गए कुल घरेलु गैस सिलिंडर के कनेक्शन 103,251,279 हैं | केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधान मंत्री निःशुल्क शौचालय योजना 2024 का उद्देश्य जरूरतमंद परिवारों को मुफ्त शौचालय उपलब्ध कराना है।
2 अक्टूबर 2014 को शरू किये गए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण का लक्ष्य 2 अक्टूबर 2019 तक सभी ग्रामीण घरों में शौचालय का निर्माण करना था ,जिसे २०२४ तक तक बढ़ाया गया है | देश भर में 10.9 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय बनाये गए है |
यह भारत को स्वच्छ और स्वस्थ रखने का विश्व का सबसे बड़ा अभियान रहा है |उपरोक्त उदहारण प्रत्यछ रूप से मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण से सीधा सरोकार रखते है | यह सर्व विदित है कि मानव अधिकार अविभाज्य हैं ,एक दूसरे पर निर्भर हैं तथा वे पारस्परिक तौर पर अंतर्संबन्धित हैं | अतः नए भारत के निर्माण और मानव अधिकारों में सीधा सम्बन्ध है |
निष्कर्ष :
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संचालित नीतियों से आभास होता है कि वे पंडित दीनदयाल के समग्र विकास के सिद्धांतों की दिशा में कार्य कर रहे है और उनके सपनो को नयी दिशा प्रदान करते हुए उन्हें संकल्पना से सिद्धि में परिवर्तित करने हेतु प्रयासरत हैं |
सन्दर्भ ग्रन्थ
१. पी ऍम मोदी स्पीच एंड दी यूनाइटेड नेशंस सस्टेनेबल समिति ,सितम्बर 25, 2015 |
२. डॉ ऍम सी त्रिपाठी ,एनवायर्नमेंटल लॉ,सेंट्रल लॉ पब्लिकेशन अल्लाहाबाद |
३. ब्रजेश बाबू ,ह्यूमन राइट्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट ,ग्लोबल पब्लिकेशन ,नै दिल्ली |
४. प्रोटेक्शन ऑफ़ ह्यूमन राइट् एक्ट , 1993|
५. मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 1948 |
६. राष्ट्रीय सहारा ,अप्रैल 2017 |
७. मन की बात कार्यक्रम 30 मार्च 2017 |
८. एचटीटीपी ://पी ऍम जे डी वाई.जीओवीटी इन /अच् आई -होम
९. प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना ,पेट्रोलियम अवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ,भारत सरकार |