4 फरवरी, 2025 को सम्पूर्ण विश्व में कैंसर की रोकथाम, पहचान और उपचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्व कैंसर दिवस मनाया गया, वहीं 7 अप्रैल 2025 को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया गया है |
विज्ञान के क्षेत्र में तमाम तरक्की ने कैंसर के इलाज को सस्ता, सुगम और आसान बनाया है बाबजूद इसके सच्चाई यह है कि कैंसर के इलाज तक आज भी हर व्यक्ति की आसान पहुंच नहीं है |
विश्व स्तर पर कैंसर की बीमारी मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है | पुरुषों में कैंसर के आम प्रकार मुख्य रूप से फेफड़े, प्रॉस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट या यकृत कैंसर पाए जाते हैं, जबकि महिलाओं में स्तन, कोलोरेक्टल और थायरॉयड कैंसर बहुतायत में पाए जाते हैं |
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो न सिर्फ मरीज को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक रूप से प्रभावित करती है बल्कि उसके परिवारीजनों कों भी समान रूप से प्रभावित करती है | इसमें कोई शक नहीं है कि दुनियाभर में स्वास्थ्य के अधिकार को लेकर बहुत प्रयास और कार्य किया गया है लेकिन इस सब के बाबजूद कैंसर के इलाज में समानता और न्याय के अवसर की स्पष्ट रूप से कमी दिखाई देती है |
कैंसर के मरीजों को इलाज, देखभाल और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं तक बिना किसी विभेद के समान पहुंच प्रदान किया जाना उनके मानवाधिकारो का अहम् हिस्सा है | कैंसर और मानव अधिकारों, जिसमे स्वास्थ्य का मानव अधिकार भी शामिल है, के मध्य गहरा सम्बन्ध है | इस लेख के माध्यम से कैंसर और मानव अधिकारों के बीच अन्तर्सम्बन्धों का अन्वेषण करने का प्रयास किया गया है |
वैश्विक कैंसर परिदृश्य
वैश्विक स्तर पर कैंसर की बीमारी का बोझ लगातार बढ़ रहा है | जिसके चलते रोगियों, परिवारों, समाज और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर भी जबरदस्त दबाब बढ़ रहा है | यह दबाब शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या वित्तीय किसी भी रूप में हो सकता है |
आज भी निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देश कैंसर की बीमारी के बोझ को आर्थिक रूप में झेलने की स्थति में नहीं हैं | जिसके कारण अधिकांश कैंसर रोगियों की गुणवत्ता पूर्ण इलाज और देखभाल तक पहुंच नहीं है |
वहीं दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जिन देशों में स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ हैं, वहां शीघ्र पता लगाने, गुणवत्तापूर्ण उपचार और उत्तर जीविता देखभाल की बेहतर सुविधाओं के कारण कई प्रकार के कैंसर पीड़ितों के जीवित रहने के समय में सुधार हो रहा है अर्थात वे अधिक समय तक जीवित रह पा रहे हैं |
2022 में, लगभग 20 मिलियन नए कैंसर के मामले सामने आए, और वैश्विक स्तर पर 9.7 मिलियन लोग इस बीमारी से मर गए।
महिला लिंग स्तन कैंसर का सबसे मजबूत जोखिम कारण है | लगभग 99 प्रतशत स्तन कैंसर महिलाओं में होते हैं और 0.5 -1 प्रतिशत पुरुषों में होते हैं |
विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार 2022 में वैश्विक स्तर पर 2 मिलियन महिलाओं में स्तन कैंसर का पता चला तथा 6,70,000 महिलाओं की कैंसर से मृत्यु हुई |
सर्वाइकल कैंसर भी महिलाओं को बहुतायत में प्रभावित करता है | संगठन के अनुसार 2022 में लगभग 6,60 ,000 सर्वाइकल कैंसर के नए मामले आये और 3,50,000 मौतों के साथ वैश्विक स्तर पर यह महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है |
संघटन के ग्लोबल ब्रेस्ट कैंसर इनिसिएटिव का उद्देश्य वैश्विक स्तन कैंसर मृत्यु दर को प्रतिवर्ष 2.5 % करना है जिससे 2020 -2040 के बीच वैश्विक स्तर पर 2.5 मिलियन स्तन कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सके | इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संगठन ने तीन आधार बताये हैं | पहला आधार कैंसर की बीमारी का शीघ्र पता लगाना, दूसरा समय पर मरीज का निदान करना तथा तीसरा स्तन कैंसर का व्यापक प्रबंधन |
कैंसर का भारत पर बोझ
कैंसर विश्व भर में मानवीय मौत के प्रमुख कारणों में से एक है तथा भारत में भी यह बीमारी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है | कैंसर के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से कैंसर मुक्त भारत की ओर- रोकथाम, उपचार और नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता नामक शीर्षक के तहत प्रेस ब्यूरो ऑफ़ इनफार्मेशन ,दिल्ली द्वारा 13 फरवरी 2025 को जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार भारत में, हर 1 लाख लोगों में से लगभग 100 लोगों को कैंसर का पता चलता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, भारत में 2023 में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14 लाख से अधिक थी।
स्वास्थ्य और मानव अधिकार का सम्बन्ध
किसी भी देश के विकास और प्रगति के लिए वहां के लोगों का अच्छा स्वास्थ्य पहली शर्त है | बच्चे हर देश के मुस्तकबिल का निर्माण करते है इसीलिये बच्चों का स्वास्थ्य भी बेहतर होना आवश्यक है |
अन्तराष्ट्रिय मानवाधिकार लिखितों में स्वास्थ्य के अधिकार को हर व्यक्ति का बिना किसी भेदभाव के बुनियादी मानव अधिकार बनाया है | यद्यपि सैद्धांतिक तौर पर यह अधिकार सभी को बिना उसकी सामाजिक तथा आर्थिक स्थति के उपलब्ध है लेकिन व्यवहारिक तौर पर कई देशों में लोगों को इसकी उपलब्धता पर अनेक बाधाएं हैं | स्वास्थ्य सम्बन्धी मानव अधिकार प्रावधानों के तहत अधिकांश देश अपनी- अपनी आर्थिक सीमाओं में रहते हुए स्वास्थ्य के मानव अधिकार को वास्तविकता में बदलने का प्रयास कर रहे हैं |
सयुक्त राष्ट्र के सार्वभौमिक मानव अधिकार घोषणा- पत्र, 1948 में स्थापित किया गया है कि सभी व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य की उच्च स्तरीय देखभाल, उचित उपचार और विशेष स्थतियों में जीवन यापन के लिए आवश्यक सुविधाओं को प्राप्त करने का अधिकार है |
उक्त मानवाधिकार प्रावधानों के तहत सदस्य राज्य दायित्वाधीन है कि वह अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के मानव अधिकारों का सम्मान करे ,उनका संरक्षण करे और साथ ही अपनी आर्थिक सीमाओं के अधीन आवश्यक सुविधाएं और संसाधन जुटा कर उनकी पूर्ती करे |
इस सन्दर्भ में कैंसर जैसी भयंकर व् विनाशकारी बीमारी को झेल रहे रोगियों के लिए राज्य द्वारा न्याय सम्मत इलाज तथा देखभाल के सामान अवसर उपलब्ध करना मानवाधिकार का एक महत्त्व पूर्ण मुद्दा है |
गरीबी और कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते निम्न और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में ज्यादातर कैंसर रोगी आज भी स्वास्थ्य के मानवाधिकार से वंचित होने को विवस हैं | आज भी गरीबी मानव अधिकारों का सबसे बड़ा अतिक्रमणकारी कारक है |
स्वास्थ्य के मानवाधिकार उल्लंघन की स्तिथियाँ
असमानताओं पर आधारित कई प्रकार की बाधाओं के चलते कैंसर रोगियों को उचित इलाज, निदान और देखभाल न मिलने के कारण उनके जीवन पर कई तरह से सीधा प्रभाव पड़ता है| कैंसर की जांच में देरी, इलाज में देरी, उचित और आसानी से सुलभ उपचार की कमी और महँगे इलाज के कारण अनेक कैंसर रोगियों की स्थति और अधिक बिगड़ जाती है | यह सीधे-सीधे कैंसर रोगियों के मानवाधिकार का उलंघन होता है क्यों कि अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार विधि के अनुसार हर व्यक्ति को समय से उचित चिकित्सा व्यवस्था और देखभाल का मानव अधिकार प्राप्त है जिसका सम्मान, संरक्षण और पूर्ती राज्य के दायित्वाधीन है |
निष्कर्ष
कैंसर और मानव अधिकारों के मध्य गहरा अंतर्सम्बन्ध है | मानव अधिकार के तहत कैंसर रोगियों को भी का मानव अधिकार प्राप्त है जो यह सुनिश्चित करता है कि हर कैंसर रोगी को बिना किसी विभेद और असमानता के उसे सामान इलाज, देखभाल और जीने का अधिकार मिलना चाहिए अर्थात कैंसर रोगियों को मानव अधिकार के तहत उचित इलाज, देखभाल और जीवन के अधिकार की राज्य द्वारा गारंटी मिलनी चाहिए | इस लिए यह महत्वपूर्ण है कि समाज के सभी वर्गों के लिए बिना विभेद के सामान रूप से उपचार और देखभाल के लिए सामान अवसर और न्याय सुनिश्चित किया जाए | ताकि कैंसर जैसी बीमारी के इलाज, निदान और देखभाल तक हर किसी व्यक्ति की पहुंच संभव हो सके |