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शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

भारत मे आवारा कुत्तों का संकट 2025 : कानून , सुरक्षा और समाधान

दिल्ली -NCR  के पार्कों, सड़कों और रिहायशी कॉलोनियों में आवारा कुत्तों का आतंक  इतना होता जा रहा है कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। रोजाना कुत्तों के काटने की घटनाएं  सामने आ रही हैं ,अब सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं रह गई हैं — सुप्रीम कोर्ट तक ने इस पर बड़ा फैसला सुनाया है। जिसे सम्पूर्ण भारत पर  लागू करने के लिए कहा है | लेकिन सवाल यह है कि क्या अदालत का यह कदम ज़मीनी स्तर पर कुछ बदलेगा? इस लेख में हम जानेंगे हकीकत, कोर्ट का फैसला, और वह मध्यमवर्गीय मार्ग जो लोगों को राहत दिला सकता है।

भूमिका 

भारत की सड़कें करीब 60 मिलियन आवारा कुत्तों का घर हैं |आवारा कुत्तों की लगातार नसबंदी की पुख्ता व्यवस्था न होने के कारण इनकी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है | सरकारी आंकड़ों के अनुसार विगत कुछ वर्षों से आवारा कुत्तों के इंसानो पर हमले की घटनाओं में भी तेजी से बृद्धि दर्ज की गई है | 

भारत में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) के हमले जन स्वास्थ्य समस्या में तब्दील हो रहे है | कुत्ते के काटने से रेबीज के कारण हुई 6 वर्षीय बच्ची की मृत्यु पर टाइम्स ऑफ़ इंडिया में कौशिकी शाहा द्वारा लिखित एक लेख प्रकाशित हुआ| जिसका  माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लिया गया |  

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त 2025 के आदेश ने आवारा कुत्तों के संकट को फिर सुर्ख़ियों में ला दिया है| जिससे स्पष्ट है कि भारत में मानवअधिकार/ सुरक्षा बनाम पशु अधिकारों पर बहस तेज हो गई है |

एक ओर पशु प्रेमी हैं तथा दूसरी ओर आवारा कुत्तों के हमलो से त्रस्त और परेशान आम जनता है | कुत्तों के हमलों से खौफजदा आमजन पर पशु प्रेमी हावी हैं | पशु प्रेमियों के तरफ से जान्हवी कपूर,वरुण धवन,जॉन अब्राहम,रवीना टंडन,वीर दास और मनोज वाजपेयी जैसे दिग्गज बॉलीवुड अभिनेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों को एनिमल शेल्टर्स में भेजे जाने के आदेश के खिलाफ आवाज उठाई है तथा स्थानीय अधिकारियों की बिफलता को समस्या की जड़  बताया | 

पशु प्रेमियों का दबदबा इतना है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी अपने पूर्व में दिए गए आदेश दिनांक 11 /08 /2025 में संसोधन पर पुनर्विचार करते हुए दिनांक 22 /08 /2025  को नए दिशानिर्देशों सहित दूसरा आदेश  पारित करना पड़ा | सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश के बाद दिल्ली सहित सम्पूर्ण देश में पशु प्रेमियों ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश के विरोध में प्रदर्शन किये | लेकिन दूसरे संशोधित आदेश के बाद वरिष्ठ राजनीतिज्ञ मेनका गांधी,राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी सहित फिल्मी सितारों रूपाली गांगुली और रवीना टंडन ने सुप्रीम कोर्ट के संशोधित आदेश का स्वागत किया |  

सामाजिक सुरक्षा और रेबीज संकट 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर साल लगभग 20,000 लोगों की मृत्यु रेबीज की बीमारी होने से हो जाती है| इन मौतों में 90 प्रतिशत कुत्तों के काटने से जुडी हुई हैं | ख़बरों से पता चलता है कि कुत्तों के हमले बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा हो रहे हैं | इस बात का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि कुत्ते के काटने की घटनाओं से रेबीज से सबसे अधिक प्रभावित बुजुर्ग और बच्चे होते हैं। 

भारत सरकार के एक आँकड़े के अनुसार वर्ष 2024 में कुत्ते काटने की 37 लाख से अधिक घटनाएं दर्ज की गई थी | इन आकड़ों से स्पष्ट है कि आवारा कुत्तों के इंसान पर हमले सामाजिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बनते जा रहे है | 

अचरज भरी नजरों से घूरता आवारा कुत्ता
आवारा कुत्तों के प्रति बढ़ती घृणा

सतत विकास और सामाजिक संतुलन के लिए सामाजिक सुरक्षा पर आये खतरे को न्यूनतम किया जाना आवश्यक है अन्यथा समाज में आवारा कुत्तों के प्रति घृणा बढ़ना स्वाभाविक है | क्यों कि आवारा कुत्तों के आतंक से बच्चे मारे जा रहे है उनके परिवारीजनों की पीड़ा अथाह है | कालोनियों में लावारिश कुत्तों की भरमार से बच्चों का खेलना कूदना बंद ,साइकिल चलाना बंद हो गया है |

नवंबर 2022 में ४ छात्रों ने एक गर्भवती कुतिया को पीट- पीट मार डाला | पुलिस द्वारा पूछताछ में पता चला कि जब भी  वे क्रिकेट खेलने जाते थे तभी वह उनके ऊपर भोंकती थी | 

सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद कानपुर में आवारा कुत्ते का बीबीए की छात्रा पर हमला, जिससे छात्रा गंभीर रूप से घायल हो गई | सोसाइटी वालों ने नाराज होकर कुत्तों को मरवाने का फरमान जारी कर दिया | जिसके बाद पीट पीट कर कुत्ते को मार डाला गया | यद्यपि मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई है | 

यही नहीं कर्नाटक के एक एमएलसी ने खुलासा किया कि उन्होंने 2800 कुत्तों को मरवाया | खाने में जहर दिया | पेड़ के नीचे दफनाया | उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों की सुरक्षा के लिए जेल जाने को तैयार हैं | 

कानून और सुप्रीम कोर्ट का आदेश 2025 

भारत में जानवरों की सुरक्षा और उनके विरुद्ध होने वाली क्रूरता को रोकने के उद्देश्य से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) उपलब्ध है। इस अधिनियम के तहत कुत्ते भी आते हैं | पशुओं के विरुद्ध क्रूरता के प्रथम बार अपराध की स्थति में 50 रूपये तक जुर्माना किया जा सकता है | यद्यपि लम्बे समय से इसमें संशोधन की मांग की जा रही है |

पशु जन्म नियंत्रण नियम ,2023  के नियम 8 के तहत प्रावधानित किया गया है कि टीकाकरण और नसबंदी का उत्तरदायित्व पालतू पशु होने के मामले में पशु स्वामी का होगा तथा सड़क पर रहने वाले या आवारा पशुओं की स्थति में स्थानीय प्राधिकरण उत्तरदाई होगा और इन नियमो के अनुसार पशु नियंत्रण कार्यक्रम चलाने के लिए बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त किसी संगठन को नियुक्त कर सकता है |  

उड़ीसा हाई कोर्ट की विधि व्यवस्था बाली परिदा बनाम नीरा परिदा  में स्थापित किया गया है कि ," किसी पशु को पीटना अधिनियम की धारा 11(1) के तहत दंडनीय और अपराध नहीं बनता है, जब तक कि पिटाई इस प्रकार की न हो कि पशु को अनावश्यक दर्द या पीड़ा हो।"

कंपैशन अनलिमिटेड प्लस एक्शन बनाम भारत संघ ,(2016) 3 SCC 53 के मामले में न्यायालय ने यह भी माना कि कोई भी कार्य, जो पशुओं को अनावश्यक पीड़ा और कष्ट पहुँचाता है, अपराध है, क्योंकि ऐसा कार्य, पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11 और 3 के तहत पशुओं को दिए गए वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः प्रेरणा से उत्पन्न याचिका IN RE: “CITY HOUNDED BY STRAYS, KIDS PAY PRICE” में पहले अपने आदेश में दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें एनिमल शेल्टर्स में रखने तथा दुबारा न छोड़े जाने के आदेश दिए थे जिसे बाद में बदल दिया गया | 

नए आदेश के अनुसार केवल बीमार और आक्रामक आवारा कुत्तों को एनिमल शेल्टर्स में रखा जाएगा तथा अन्य सभी कुत्तों को टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्ही स्थानों पर छोड़ दिया जाएगा जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था |सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दर्शित आक्रामक आवारा कुत्तों की परिभाषा के प्रश्न पर भारत की प्रसिद्ध राजनेत्री एवं पशु-अधिकारवादी मेनका गांधी ने गंभीर सवाल उठाया हैं |

समस्या का मानवीय समाधान 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि समाज में आवारा कुत्तों के हमलों की समस्या ने गंभीर रूप धारण कर लिया है | लेकिन समाज में किसी समस्या को लेकर टकराव किसी समस्या का समाधान नहीं है |

समस्या की गंभीरता को देखते हुए मानवीय और वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य समाधान की ओर पशु प्रेमियों और कुत्तों के हमलों से पीड़ित लोगो तथा उनका समर्थन करने वाले लोगो को अग्रसर होना पडेगा | इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का सभी को अक्षरशः पालन करना चाहिए जिससे समस्या के समाधान में तेजी आ सकेगी |

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में आवारा कुत्तों का टीकाकरण अभियान |

विशेष तौर पर आवारा कुत्तों की एक निश्चित समय सीमा में नसबंदी और टीकाकरण कराया जाना, जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन के पैमाने को संतुष्ट किया जा सके, जिससे प्रभावी रूप से आवारा कुत्तों की जनसंख्या बृद्धि रोकी जा सके |

इसके लिए पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप के मॉडल को अपनाया जा सकता है | इसके अतिरिक्त स्थानीय डॉग फीडर्स और रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन की मदद से सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाकर समस्या के मानवीय हल को निकाला जा सकता है | 

आवश्यकता अनुसार पब्लिक प्राइवेट मॉडल पर डॉग शेल्टर होम्स की स्थापना करना तथा एडॉप्शन कार्यक्रम को बढ़ावा देना | रेबीज वेक्सीन की बिना किसी बाधा के आसान और निशुल्क उपलब्ध्ता सुनिश्चित करना | आवारा कुत्तों और इंसानो के बीच सहअस्तित्व के साथ बच्चों और परिवारों को सुरक्षित रहने की ट्रेनिंग के लिए जागरूकता पैदा करके | 

निष्कर्ष 

भारत में आवारा कुत्तों का संकट सिर्फ सामाजिक या कानूनी बहस का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह जन सुरक्षा,स्वास्थ्य और प्रकृति के संतुलन का मुद्दा है | 

अगर माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के तहत सरकार ,समाज और पशु प्रेमी /पशु अधिकार संगठन काम करें,तो इंसान और आवारा कुत्तों  दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है  तथा इंसान और आवारा कुत्तों के बीच टकराव को मानवीय स्पर्श के साथ समाप्त किया जा सकता है |   

भारत में आवारा कुत्तों का संकट 2025 -FAQ 

प्रश्न : भारत में कितने आवारा कुत्ते हैं ?

उत्तर : भारत में लगभग 6. 2  करोड़ से अधिक आवारा कुत्ते हैं ,और उनकी जनसंख्या लगातार बढ़ रही है | 

प्रश्न : क्या भारत में आवारा कुत्तों को मारा जा सकता है ?

उत्तर : नहीं | पशु जन्म नियंत्रण नियम ,2023 तथा कोर्ट के निर्णय आवारा कुत्तों को मारने की अनुमति नहीं देते हैं | 

प्रश्न :सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में क्या आदेश किया है ?

उत्तर : सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने और उनका टीकाकरण और नसबंदी करने के बाद बीमार और आक्रामक कुत्तो को छोड़कर अन्य सभी कुत्तों को जहा से उठाया था उसी स्थान पर छोड़ने के आदेश दिए है | 

प्रश्न : आवारा कुत्तों की समस्या का स्थाई समाधान क्या है ?

उत्तर : सामुदायिक भागीदारी से नसबंदी ,टीकाकरण और डॉग सेंटर्स की स्थापना मानवीय और स्थाई समाधान है |   

   

शनिवार, 23 अगस्त 2025

आवारा कुत्तों की घर वापसी – डॉग लवर्स की बड़ी जीत!

 

आवारा कुत्ते

प्रस्तावना

भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर के अनेक देशों में आवारा कुत्तों के हमलों का मुद्दा लम्बे समय से विवाद का केंद्र रहा है | भारत की सड़कों पर आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या,उनके ताबड़-तोड़ हमले और भय से आम लोग परेशान और त्रस्त रहे है | राज्यों के अलग अलग स्थानीय नगर निगम और ग्राम पंचायत कानूनों में प्रावधान है कि सड़कों को आवारा जानवरों से मुक्त कराना स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है | इस जिम्मेदारी का कोई निर्वहन उचित रूप से कही भी दृष्टिगोचर नहीं होता है | अभी हाल ही में  कुत्तों के काटने से दिल्ली में हुई 6 वर्षीय बच्ची की मृत्यु का समाचार टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अंगरेजी दैनिक में  छापा | जिसका माननीय सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया | जिसके बाद दिल्ली सरकार को सड़क से आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम्स में भेजनी का आदेश दिया गया | 

इस आदेश के आते ही डॉग लवर्स और जानवरों के लिए काम कर रहे गैरसरकारी संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध किया | मेनका गाँधी ,राहुल गाँधी,भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश काटजू साहब तथा अनेक  बड़े- बड़े  फिल्म स्टार एनिमल लवर्स के समर्थन में खड़े दिखाई दिए | एनीमल लवर्स ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमानवीय बताया तथा याय भी दलील दी कि जानवरों के भी अधिकार होते हैं | 

आख़िरकार हाल ही में  दिनांक 22 /08 /2025 को सुप्रीम कोर्ट का संशोधित फैसला सामने आया | देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में बदलाव करते हुए आवारा कुत्तों की नसबंदी करने के बाद उन्हें उन्हीं इलाकों में छोड़े जाने के आदेश दिया है, जहाँ से उन्हें पकड़ा गया था।

अदालत और प्रशासन का फैसला

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने कई सुनवाइयों में कहा कि कुत्तों को उनके मूल निवास स्थान से बेदखल नहीं किया जा सकता है | इस सम्बन्ध में मौलिक विधि पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 के तहत प्रावधान किये गए है, जिसके तहत भी भारत में किसी भी व्यक्ति, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या एस्टेट प्रबंधन के द्वारा आवारा कुत्तों की उनके मूल निवास से बेदखली या स्थानांतरण गैरकानूनी है।उन्हें किसी भी स्तिथि में हटाया नहीं जा सकता है | 

हालिया फैसले में माननीय न्यायालय ने  दिल्ली सरकार को आदेशित किया है कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण (Vaccination) के बाद उन्हें उनके मूल स्थान पर ही छोड़ा जाए | यह फैसला डॉग लवर्स की बड़ी जीत है | 

डॉग लवर्स की जीत क्यों?

डॉग लवर्स का सबसे बड़ा तर्क यही था कि आवारा कुत्ते भी समाज का अभिन्न अंग हैं।प्राकृतिक संतुलन आवश्यक है | आवारा कुत्तों को उनके मूल निवास स्थान से उठा ले जाना और शेल्टर् होम्स में रखना उनके अधिकार का उलंघन है क्यों कि जानवरो के भी अधिकार होते हैं | यह कार्य अमानवीय भी है | 

किसी व्यक्ति द्वारा दिया गया खाना खाता हुया आवारा कुत्ता

आवारा कुत्तों की घर वापसी के फैसले ने यह साबित कर दिया कि अदालत भी जानवरों के अधिकारों  को उतना ही महत्व देती है जितना इंसानों के अधिकारों को। माननीय सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला उन सभी गैरसरकारी संगठनों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए बड़ी तथा अविस्मरणीय जीत है, जिन्होंने  हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तत्काल बाद रात्रि को ही दिल्ली में स्थित इंडिया गेट पर फैसले के विरोध जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और सभी एनिमल लवर्स को एक जुट होने का आह्यवान किया था | यह जीत एनिमल लवर्स को मात्र 11 दिन में मिल गई |  

आम जनता की चिंता

हालांकि यह फैसला डॉग लवर्स के लिए जीत है, लेकिन आम जनता  के लिए अभी भी विचारणीय मुद्दा है तथा राहत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उग्र कुत्तों और बीमारी से ग्रस्त आवारा कुत्तों को नहीं छोड़ा जाएगा | आम जनता अर्थात कुत्तों के हमलो से पीड़ित लोगों के लिए सिर्फ यही राहत की बात है | देखना यह है कि बच्चों और बुज़ुर्गों पर आवारा कुत्तों के हमलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से क्या कमी आती है यह तो भविष्य ही बताएगा | 

आमजन का मानना है कि अगर कुत्तों की घर वापसी हो रही है तो सरकार को ईमानदारी और सख़्ती से नसबंदी और वैक्सीनेशन लागू करना होगा, ताकि आमजन को कुछ राहत मिल सके |  

आगे का रास्ता – संतुलन की ज़रूरत

यह फैसला साफ़ करता है कि सिर्फ़ कुत्तों को उनकी मूल निवास से हटाना या उनका मारा जाना समस्या का कोई मानवीय हल नहीं है| विश्व स्वास्थय संघटन के पैमाने के अनुसार नसबंदी (Sterilization) से उनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती है, लेकिन यह कार्य ईमानदारी और प्रबल राजनैतिक इच्छा सक्ति के तहत होना चाहिए | इसके साथ ही आवारा कुत्तों के वैक्सीनेशन (Vaccination) से रेबीज़ जैसी बीमारियों से बचाव होगा।जो अनावश्यक और अकाल मृत्यु को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम है | कुत्तों के लिए फीडिंग जोन बनाये जाने से भी आमजन और आवारा कुत्तों के बीच टकराव  कम होने की अच्छी सम्भावनाये है | साथ ही सभी को आवारा कुत्तों के साथ सहअस्तित्व की बेहतर संभावनाओं को तलाशने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है | 

निष्कर्ष

आवारा कुत्तों की घर वापसी सिर्फ़ एक न्यालयिक निर्णय नहीं, बल्कि यह मानवाधिकारों और पशु-अधिकारों के बीच संतुलन का प्रतीक है।

जहाँ डॉग लवर्स इसे अपनी बड़ी जीत मान रहे हैं, वहीं आम नागरिक उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अब सरकार और नगर निगम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई हीला हवाली नहीं करेंगे।

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