साइबर अपराध के क्षेत्र में नया वेरिएंट डिजिटल अरेस्ट
परिचय
आज कल एक तरफ डिजिटल तकनीकी ने हमारे जीवन को सुगम बनाया है वहीं दुसरी तरफ नयी चुनौतियों का सामना करने के लिए विवश कर दिया है | इन चुनौतियों में से एक है डिजिटल अरेस्ट | यह विषय आज के वैश्विक परिदृश्य के साथ-साथ देश के स्तर पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है | साइबर अपराध की दुनिया में डिजिटल अरेस्ट नामक शब्द मानव अधिकारों के उल्लंघन का प्रतीक बन गया है तथा मानवअधिकारों के लिए भी गंभीर चुनौती है|
भारतीय समाज में डिजिटल अरेस्ट का अपराध इतनी तेजी से फैला है जैसे अतीत में किसी समय स्माल पॉक्स की बीमारी फैला करती थी | भारत में डिजिटल अरेस्ट के अपराध की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को मन की बात के 115 वे एपीसोड में डिजिटल अरेस्ट के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा है |
समाज में लोगों के साथ ठगी करना सभ्यताओं के विकास की शुरुआत से ही चला आ रहा है | हालांकि समय के साथ -साथ ठगने के तरीकों में आमूलचूक परिवर्तन आता रहा है | वर्तमान के डिजिटल युग में तो ठगी और जालसाजी के तरीके पूरी तरह से बदल गए हैं तथा वे समय के साथ -साथ अत्यधिक आधुनिक और नए रूप में समाज के सामने आ रहे हैं, और यह नया तरीका है डिजिटल अरेस्ट |
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक(ADGP), उत्तर प्रदेश तथा फाउंडर डायरेक्टर ,उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरेंसिक साइंस ,लखनऊ ,प्रोफेसर (डॉ) जी.के. गोस्वामी, IPS के अनुसार डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम का एक नया वेरिएंट है | वर्तमान परिदृश्य में उनका यह भी कहना है कि ऐसे मामले प्रति दिन बड़ी संख्या में हो रहे हैं कुछ लोग बता भी नहीं पाते |
डिजिटल तकनीकी का विकास समाज की भलाई और जीवन को सरल बनाने के लिए किया गया है लेकिन यह भी सत्य है कि अपराधी हमेशा से ही अच्छी और उच्चस्तरीय तकनीकी का दुरूपयोग व्यक्ति और समाज के विरुद्ध तथा अपने हितार्थ करते आये हैं |
आज के वैज्ञानिक और तकनीकी युग में जहाँ डिजिटल तकनीकी की उन्नति तेजी से हो रही है | वहीं अपराधियों द्वारा तकनीकी खामियों का लाभ उठाकर अनेक लोगों के साथ ठगी और जालसाजी की जा रही है | यह साइबर अपराध एक भयाभय प्रबृति के रूप में डिजिटल तकनीकी की जानकारी रखने वाले नवयुवकों में तेजी से उभर कर सामने आया है |
इस प्रकार की जालसाजी और ठगी में ठग पीड़ितों को अवैध बित्तीय लेनदेन करने के लिए विवश करते हैं तथा धन की डिजिटल वसूली होने पर उन्हें उनके द्वारा किये गए आभासीय तथा मनगढंत अपराध से मुक्त करने का आश्वासन भी देते हैं | यही डिजिटल अरेस्ट का महत्वपूर्ण घटक है |
डिजिटल अरेस्ट क्या है ?
सामान्य भाषा में डिजिटल अरेस्ट का अर्थ है कि किसी व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों,उसके डाटा, और उसकी व्यक्तिगत जानकारी पर निगरानी और नियंत्रण कर उसे झांसे या भय में फँसा कर उससे ठगी या जालसाजी करना है | यद्धपि डिजिटल अरेस्ट की अभी तक कोई सर्वमान्य परिभाषा उपलब्ध नहीं है | इसका कारण विषय विशेषज्ञों द्वारा डिजिटल अरेस्ट के विषय का अन्तरविषयक(इंटरडिसिप्लिनरी) होना बताया है |
डिजिटल अरेस्ट कोई वास्तविक गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्ति डिजिटल उपकरण जैसे कि मोबाइल, लेपटॉप या इलेक्ट्रॉनिक टेबलेट आदि के माध्यम से बातचीत करने के दौरान पीड़ित ठगों के आभासीय गिरफ्त में रहते है | इस दौरान ठग या जालसाज पीड़ितों को किसी संगीन अपराध में फसाने या उन्हें गिरफ्तार करने या उनके किसी परिवारीजनों या प्रियजनों को किसी अपराध में फ़साने का झांसा दे कर उनसे मनमानी रकम डिजिटल माध्यम से वसूलने का प्रयास करते हैं या वसूल कर लेते हैं |
डिजिटल अरेस्ट के मामलों में फंसाने के तरीके क्या हैं ?
डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठगने या जालसाजी करने के तरीके यद्धपि निश्चित नहीं हैं फिर भी कई अलग -अलग तरीकों से ठगी या जालसाजी को अंजाम दिया जाता है |
पहले तरीके में अच्छे पढ़े लिखे और कानून के जानकार लोगों को अधिकांशतः मनी लॉन्डरिंग का डर दिखाकर फंसाया जाता है |दूसरे तरीके में किसी व्यक्ति के कूरियर में ड्रग्स होने का भरोसा दिलाया जाता है | जिसकी वजह से उसे गंभीर अपराध में फंसने का डर दिखाया जाता है | तीसरे तरीके में व्यक्ति के बैंक के खाते से ट्रांजेक्शन्स में फाइनेंश्यिल फ्रॉड होने का डर दिखाया जाता है |
चौथे तरीके में अधिकांशतः गरीब लोगों को, जिनके खाते में पैसे नहीं होते है, उन्हें लोन लेने वाला ऍप डाउनलोड करा दिया जाता है | बाद में उनको बसूली के लिए धमकाया जाता है और लोन के पैसे बापस करने को कहा जाता है, जो उन्होंने कभी उधार लिए ही नहीं |
पाँचवा तरीका है जिसमे युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक आते है | इस तरीके में व्यक्ति अपने अंतरंग क्षणों को ऑनलाइन प्रस्तुत करने का प्रस्ताव प्रस्तुत करता है, जिसे दूसरे व्यक्ति द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है | धीरे धीरे प्रस्ताव देने वाला व्यक्ति दूसरे का विशवास जीत लेता है और दूसरे को अपने वस्त्र उतारने के लिए उकसाता है | पहला वाला व्यक्ति इन्ही अंतरंग क्षणों की ऑनलाइन तस्वीरें या वीडिओ बना लेता है और उसके बाद प्रारम्भ होता है दूसरे व्यक्ति का डिजिटल अरेस्ट | दूसरे व्यक्ति द्वारा पैसे न देने की सूरत में उसकी अश्लील तस्वीरें या वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी जाती है |
समय के साथ -साथ साइबर खतरों का क्षेत्र दिन पर दिन व्यापक होता जा रहा है | इस क्षेत्र में डिजिटल अरेस्ट की अवधारणा समाज के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में अत्यधिक तेजी से उभरी है |
ठगी करने वाले स्वयं को क़ानून प्रवर्तन अधिकारी,जो पुलिस,सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, फ़ेडरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन,आरबीआई, टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया आदि में से किसी के भी रूप में पेश कर सकते हैं, आवश्यकता अनुसार पीड़ितों को यह विस्वास दिलाते है कि उनके वैधानिक दस्तावेजों जैसे कि आधार कार्ड, बैंक खाते,आदि का अवैध रूप से उपयोग किया गया है |
जिसके लिए उनके विरुद्ध तत्काल कानूनी कार्यवाही किये जाने का दबाब बनाया जाता है | जिन पीड़ितों ने कभी किसी कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं लगाए तथा वे किसी कानूनी लफड़े में नहीं पड़ना चाहते है, अपने विरुद्ध या अपने किसी परिवारीजन या किसी अजीज के विरुद्ध डिजिटल रूप से कानूनी कार्यवाही की बात सुनकर घबरा जाते है | इसके बाद शुरू होता है ठगों का पीड़ितों को पैसा देने के लिए मजबूर करने का सिलसिला |
डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से ठगने या जालसाजी करने के तरीके यहाँ बताये गए तरीकों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि साइबर अपराधी आये दिन नए -नए तरीके गढ़ रहे हैं |
डिजिटल अरेस्ट की कुछ हालिया घटनाएँ
विगत कुछ वर्षों में डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं की बाड़ सी आ चुकी है | जिनमे से कुछ घटनाओं का जिक्र यहाँ किया जा रहा है | गृह मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 1 जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान भारत में वित्तीय साइबर धोखाधड़ी के कुल 1128265 प्रकरण दर्ज किये गए जिनसे जुडी कुल धनराशि 748863.9 लाख रुपये रही है |
उत्तर प्रदेश के जिला आगरा निवासी शिक्षिका मालती वर्मा 30 सितम्बर, 2024 को अपने स्कूल में थी | दोपहर 12 बजे उसके मोबाइल पर फोन आया | फोन करने वाले ने बताया कि वह इंस्पेक्टर विजय कुमार बोल रहा है | उनकी बेटी रैकेट में पकड़ी गयी है| उन्हें लड़की की आवाज सुनाई गयी | लड़की को जेल जाने से बचाना है तो 15 मिनट में एक लाख रूपये खाते में ट्रांसफर कर दो |अपनी बेटी को परेशानी में देख विमला वर्मा सदमे से बेहोश हो गयीं | परिवारीजन अस्पताल ले गए जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी | यह सब हुया डिजिटल अरेस्ट के कारण | यह रोंगटे खड़े कर देने वाला वाकया है |
बेंगलूरु स्थित एक ७० वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार को साइबर ठगों ने 15 से 23 दिसंबर तक 8 दिन डिजिटल अरेस्ट में रहने की धमकी दी | ठगों ने अपना परिचय मुंबई पुलिस और सीबीआई के अधिकारी के रूप में दिया | पत्रकार को धमकी दी कि उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा यदि वह घर से बाहर निकला और उसे बताया गया कि उसके नाम पर ड्रग्स की एक खेप भेजी गयी है तथा उसके बैंक खातों का उपयोग हवाला लेनदेन के लिए किया गया है | ठगों ने उनसे 1.2 करोड़ की अवैध वसूली कर ली |
एक अन्य मामले में 13 जुलाई 2024 को नोएडा की रहने वाली एक डॉक्टर पूजा गोयल को साइबर ठगों ने 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा | उसे पोर्न वीडियो स्कैम में शामिल होने का भय दिखा कर उससे 59 लाख रूपये ठग लिए । डॉक्टर को कॉल कर साइबर ठगों ने खुद को टेलीफोन रेगुलेटरी ऑफ़ इंडिया का कर्मचारी बताते हुए कहा कि उसके फोन से पोर्न वीडियो भेजे जा रहे है और इसके उसके गिरफ्तारी वारंट जारी होने की बात कही | वह लगातार पोर्न वीडियो स्कैम में शामिल होने से इंकार करती रही | लेकिंग ठगों ने कहा कि उनके पास सबूत है | इसके बाद डॉक्टर गोयल डर गयी और ठगों द्वारा बताये गए खातों में रुपये ट्रांसफर कर दिए | इस घटना में डिजिटल अरेस्ट के सम्बन्ध में सर्वाधिक चिंता का विषय यह है कि इस घटना की पीड़िता एक उच्च शिक्षित व्यक्ति है |
डॉ. रुचिका टंडन उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी बिभाग में कार्यरत हैं | साइबर ठगों ने उन्हें कृष्णानगर में डिजिटल अरेस्ट कर लिया तथा उनसे 2.81 करोड़ करोड़ रूपये ठग लिए |
डॉ टंडन द्वारा पुलिस को दी गयी अपनी शिकायत में बताया कि 1 अगस्त 2024 को उनके फ़ोन पर किसी अज्ञात मोबाइल नंबर से कॉल आई | कॉल करने वाले ने स्वयं को टेलीफोन रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया का सदस्य बताया तथा सभी फोन्स की सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी तथा बताया गया कि उनके मोबाइल सिम के बारे में उनके विरुद्ध कई शिकायते है | सीबीआई अफसर उनसे बात करेंगे | बातचीत के दौरान टंडन को बताया गया कि उनका नाम मनीलॉंड्रिंग के अपराध में सामने आया है तथा उनके खाते का उपयोग पैसा जमा करने के लिए किया गया जिसका उपयोग बच्चों और महिलाओं की तस्करी के लिए किया गया है | डिजिटल अरेस्ट के दौरान उसे आश्वासन दिया गया कि जांच में सहयोग पर छोड़ दिया जाएगा |
10 सितम्बर 2024 को हैदराबाद के एक सेवा निवृत सलाहकार ए वी मोहन राव को अज्ञात मोबाइल नंबर से कॉल आयी | जिसके बाद साइबर अपराधियों ने स्वयं को मुंबई पुलिस का अफसर बताते हुए डिजिटल अरेस्ट कर लिया | तथाकथित अफसर ने राव को बताया कि उसके आधार कार्ड की डिटेल और फोन नंबर मनीलॉन्ड्रिंग तथा पोर्नोग्राफी के वितरण से जुड़े हुए हैं | पीड़ित को फर्जी वारंट का भय दिखाकर उससे उसके बैंक खाते का नंबर साझा करने का दबाब बनाया गया और 2 करोड़ की ठगी कर ली |
डिजिटल अरेस्ट के प्रति संवेदनशील व्यक्ति और समुदाय
डिजिटल युग का सबसे बड़ा नुक्सान उन लोगो को उठाना पढ़ रहा जो डिजिटल तकनीकी के सामान्य ज्ञान या बेसिक शिक्षा से वंचित हैं या उम्र के ऐसे पड़ाव पर है कि प्रौढ़ शिक्षा के रूप में भी डिजिटल तकनीकी की बेसिक शिक्षा भी नहीं लेना चाहते है, जिससे स्वयं को डिजिटल अरेस्ट से बचा सकें | यद्यपि डिजिटल अरेस्ट की अखबारों या मीडिया के माद्यम से समाज के सामने आयी घटनाओं से पता चलता है कि डिजिटल अरेस्ट की चपेट में अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग भी आ चुके हैं |
तकनीकी निगरानी के माध्यम से न सिर्फ पड़े लिखे लोगों को बल्कि ऐसे लोगों को भी डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है, जो गोपनीय रूप से प्रौढ़ वैब साइट्स पर कंटेंट को पड़ने या देकने का शौक रखते हैं या विवाह सम्बन्धी साइट्स पर योग्य वर या वधु की तलाश में रहते हैं या डेटिंग साइट्स पर अपना समय बिताते हैं |
बच्चे मन के सच्चे होते है, बच्चों को भगवान् का रूप भी माना जाता है लेकिन साइबर अपराधियों के लिए डिजिटल अरेस्ट के मकसद से बच्चे सर्वाधिक आसान शिकार होते हैं |
डिजिटल अरेस्ट के प्रति बच्चों का समुदाय अत्यधिक संवेदनशील पाया गया है | अधिकाँश मामलों में डिजिटल अरेस्ट में फंस चुके बच्चे किसी को कुछ नहीं बताते जब तक उनके सामने जीने मरने की नौबत नहीं आ जाती है या उन्हें या उनके परिजनों को जान से मारने की धमकी नहीं मिल जाती है |
डिजिटल अरेस्ट के सम्बन्ध में मोबाइल या इंटरनेट पर गुमनामी से अपराध करने की स्तिथियाँ बच्चों की मासूमियत और डिजिटल तकनीकी के शातिरों द्वारा अपराध के लिए उपयोग के चलते बच्चों के लिए जोखिम अत्यधिक बढ़ जाता है |
डिजिटल दुनिया से जुड़ने के बाद बच्चों के लिए अपने माता-पिता और शिक्षकों से अधिक प्रिय और सच्चे मददगार, उन्हें बहलाने और फुसलाने वाले लगने लगते है | इसी स्थति का लाभ उठाते हुए साइबर अपराधी मासूम बच्चों को डिजिटल अरेस्ट की चपेट में ले लेते हैं | उसके बाद स्तिथियाँ बच्चों के माँ-बाप या अन्य परिजनों के हाथ से निकल जाती हैं |
बच्चों के साथ डिजिटल अरेस्ट के रूप में साइबर बदमासी कई रूपों में होती है तथा यह आम बात होती जा रही है | इसमें बच्चे जब ऑनलाइन होते है उस समय दूसरे लोगों द्वारा बच्चों को धमकाए जाने की बहुत सम्भावनाये रहती हैं | डिजिटल अरेस्ट के कारण बच्चों के मानसिक, शारीरिक और शिक्षा सम्बन्धी प्रयासों पर अत्यधिक बुरा प्रभाव पड़ता है | बच्चे बिना किसी कारण के बेचैन और असहज लगने लगते हैं |
डिजिटल अरेस्ट से मानव अधिकारों का उल्लंघन
डिजिटल अरेस्ट में साइबर अपराधियों का पहला कदम होता है शिकार बनाये जाने वाले व्यक्ति, उसके परिवार या इष्टमित्रों या रिश्तेदारों के बारे में जानकारी इक्क्ठा करना तथा दूसरा कदम होता हे डिजिटल तकनीकी जैसे व्हाट्स एप्प, स्काइपे या ऑडियो या वीडियो कॉल द्वारा पीड़ित से संपर्क करना |
संपर्क करने के बाद तीसरा कदम होता है व्यक्ति पर गंभीर अपराधों के आरोप लगाकर उस पर मानसिक दबाब बनाना |अंतिम या चौथा कदम होता है पीड़ित को उन अपराधों से बचाने के लिए झांसा देना और उसके बदले में उनके द्वारा दिए गए बैंक खातों में जल्द से जल्द डिजिटल रूप में पैसे ट्रांसफर करने की धमकी | जैसा कि ऊपर बताया गया है कि डिजिटल अरेस्ट के प्रथम चरण में साइबर अपराधी शिकार बनाये जाने वाले व्यक्ति या परिजनों या इष्टमित्रों की पृष्टिभूमि के बारे में सोशल मीडिया या अन्य गैर कानूनी तरीके से व्यक्तिगत तथा गोपनीय जानकारियां इकट्ठा करते हैं |
गोपनीयता का अधिकार हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है | यह अधिकार भारतीय संविधान द्वारा सभी नागरिकों को मिला हुया है | भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी इसका समर्थन किया गया है | डिजिटल अरेस्ट के कारण गोपनीयता के अधिकार का सीधा -सीधा उलंघन होता है |
जब किसी व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधियों की बिना उसकी अनुमति के निगरानी की जाती है या उसे गैर कानूनी रूप से हासिल किया जाता है तो यह उसके व्यक्तिगत जीवन मे दखल होता है तथा उसके गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन होता है | मानव अधिकार उल्लंघन की यह स्तिथि न सिर्फ व्यक्तिगत रूप में कष्ट और हानि पहुंचाने वाली है बल्कि समाज में भी भय का माहौल पैदा करती है | जनता पहले से ही अनेक प्रकार के आर्थिक अपराधों से जूझ रही है तथा डिजिटल अरेस्ट के रूप में नयी आफत सामने आ गई है |
मानव अधिकारों को सामान्यतः ऐसे अधिकारों के रूप में जाना जाता है जिनका उपयोग करने और जिनकी रक्षा करने की अपेक्षा करने का हकूक हर व्यक्ति को है | ये अधिकार हर व्यक्ति को उनके मानव होने के नाते प्राप्त हैं | विएना घोषणा के अनुसार सभी मानव अधिकार सार्वजनीन,अविभाज्य, अंतर्निर्भर और अन्तर्संबध हैं |
अर्थात मानव अधिकार अंतर्निर्भर और अन्तर्संबध होने के कारण एक दूसरे को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं | गोपनीयता के मानव अधिकार का उल्लंघन व्यक्ति के अन्य कई अधिकारों पर सीधा असर डालता है | उदाहरण के लिए गोपनीयता के अधिकार के उल्लंघन से ही डिजिटल अरेस्ट के अधिकाँश मामलों में अनेक लोगों को जीवन भर की जमा पूंजी से वंचित होना पड़ता है जिससे पुनः जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन होता है |
साइबर अपराधी डिजिटल अरेस्ट द्वारा व्यक्ति को मनमाने ढंग से उसकी सम्पति से वंचित कर देते हैं जो कि मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुछेद 17(2) का सीधा उल्लंघन है जिसके अनुसार अनुसार किसी को भी मनमाने ढंग से उसकी सम्पति से वंचित नहीं किया जा सकता है |
डिजिटल अरेस्ट के कारण पीड़ित को होने वाला आर्थिक नुक्सान उसके स्वास्थ्य को प्रत्यछ रूप से प्रभावित करता है | जिससे घोषणा के अनुछेद 25 में दिए गए स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन होता है |
डिजिटल अरेस्ट के कारण ठगी होने के बाद अनेक लोग गरीबी के कुचक्र में फंसने के लिए विवश हो रहे हैं | गरीबी मानवाधिकारों का सर्वाधिक अतिक्रमण करती है |गरीबी के कारण भोजन के अधिकार,शिक्षा का अधिकार तथा आवास के अधिकार का भी उलंघन होता है | उपरोक्त से स्पष्ट है कि डिजिटल अरेस्ट व्यक्ति के कई मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार है |
साइबर अपराधियों द्वारा डिजिटल अरेस्ट के रूप में कारित की गयी घटनाओं या अपराधों में पीड़ित या उसके परिजन या इष्टमित्रों के सम्बन्ध में कई रूपों में धमकियां दी जाती हैं | पीड़ित को कई- कई दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा जाता है अर्थात पीड़ित को संविधान प्रदत्त स्वतंत्र विचरण की स्वंत्रता और जीवन के अधिकार का सीधा -सीधा उलंघन होता है |
इस सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय की विधि व्यवस्था रामवीर उपाध्याय बनाम स्टेट ऑफ़ उत्तर प्रदेश ए आई आर 1996 इला० 131 में स्थापित किया गया है कि "भारत के संविधान के अनुछेद 19(1 )डी तथा 21 के अधीन नागरिकों को प्राप्त स्वतंत्र विचरण की स्वंत्रता तथा जीवन का अधिकार में ,यह स्पष्ट है कि जीवन को भय तथा धमकी से मुक्त होना चाहिए क्यों कि मृत्यु के भय या धमकी के अधीन जीवन कोई जीवन नहीं होगा | स्वतंत्र विचरण और निजी स्वंत्रता के लिए दी गई धमकी के लिए न्यायालय शक्ति विहीन नहीं होता है तथा वह नागरिकों की सुरक्षा के लिए सम्बंधित प्राधिकारिओ को सुरक्षा के निर्देश दे सकता है| जीवन का मतलब पशुवत जीवन जीना नहीं है और इसमें मानव मर्यादा के साथ शांतिपूर्वक जीवन जीने का अधिकार सम्मिलित होगा |"
डिजिटल साक्ष्य की अदालत तक पहुंचने की प्रक्रिया
अदालत में प्रस्तुत करने के लिए डिजिटल साक्ष्य की एक प्रक्रिया होती है | इस प्रक्रिया के कई चरण है | जिसके तहत डिजिटल साक्ष्य को सर्व प्रथम पहचानना पड़ता है | उसके बाद उसका संकलन किया जाता है | फिर उसे संरक्षित किया जाता है | अंत में डिजिटल साक्ष्यों को मौजूदा आपराधिक प्रक्रियात्मक कानून और तकनीकी के अनुसार अदालत में प्रस्तुत किया जाता है | क़ानून का यह स्वरुप साक्ष्य और आपराधिक प्रक्रिया के नियमो को निर्धारित करता है तथा उसे प्रमाणिकता प्रदान करता है |
किसी अपराध का सुबूत प्रदान करने में सूचना अवं संचार प्रौद्योगिकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | सूचना अवं संचार प्रौद्योगिकी से प्राप्त डेटा को न्यायलय में उपयोग में लाया जा सकता है |इसी को डिजिटल साक्ष्य या इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य कहते हैं |इन सबूतों को पहचाने,संकलन करने,संरक्षण करने तथा विश्लेषण कर उन्हें क़ानून की अदालत में प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को डिजिटल फॉरेंसिक के रूप में जाना जाता है |
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाला व्यक्ति अक्सर अपने पीछे डिजिटल निशाँन छोड़ देता है | ये डिजिटल निशान उपयोगकर्ता द्वारा छोड़े गए डेटा के रूप में होते हैं जो उसके बारे में अनेक प्रकार की जानकारी दे सकता है | जैसे कि आयु ,जाती,लिंग ,राष्ट्रीयता, रंग, नस्ल, मूलवंश, चिकत्सकीय इतहास आदि |
सूचना अवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से डिजिटल चिन्ह के रूप में छोड़े गए डेटा सक्रिय और निष्क्रिय दो रूपों में मिलते है | निष्क्रिय डिजिटल चिन्ह के रूप में डिजिटल तकनीकी के उपयोगकर्ताओं द्वारा ब्रॉजिंग हिस्ट्री एक अच्छा उदाहरण है | जबकि सक्रीय डिजिटल चिन्ह उपयोगकर्ताओं द्वारा प्रदान किये गए डेटा के रूप में होते हैं, जिसमें चित्र, वीडियो, निजी जानकारी, एप्स, वेबसाइट पर अपलोड की गयी सामिग्री समाहित है | सक्रिय और निष्क्रिय डिजिटल चिन्ह के रूप में डेटा का उपयोग साइबर अपराध के अलावा अन्य अपराध के साक्ष्य के रूप में भी किया जा सकता है | इस डेटा का उपयोग किसी अपराध के साबित करने या उसके खंडन करने की लिए भी किया जा सकता है |
डिजिटल साक्ष्य की अदालत में स्वीकार्यता
डिजिटल साक्ष्यों को अदालत में प्रस्तुत किया जाना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना महत्वपूर्ण है उन्हें प्रमाणिकता के साथ अदालत में प्रस्तुत कर उन्हें स्वीकार करना |यद्धपि विधि अनुसार यह सही है कि डिजिटल साक्ष्य को स्वीकार या अस्वीकार करना न्यायिक विवेक पर निर्भर होता है |
भारत में 1 जुलाई 2024 से नया साक्ष्य अधिनियम अर्थात भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (बीएसए) लागू हो गया है| जिसमे डिजिटल साक्ष्य से सम्बंधित प्रावधान नए और व्यापक रूप में लाये गए हैं | बीएसए में दी गयी "दस्तावेज" की परिभाषा में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को भी शामिल किया गया है | इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल दस्तावेज में इ-मेल, सर्वर लॉग,कंप्यूटर पर दस्तावेज,लेपटॉप या स्मार्ट फोन, मैसेज, वेबसाइट,अवस्थिति साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिकी अभिलेख और डिजिटल युक्तियों में भण्डार किये गए वॉयस मेल मैसेज समाहित हैं |
बीएसए की धारा 61 के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल दस्तावेज साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य होंगे तथा इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल दस्तावेज भी वही विधिक प्रभाव, विधिक मान्यताऔर प्रवर्तनशीलता रखेंगे जो कोई अन्य दस्तावेज रखता है|
इसी एक्ट की धारा 63(4) इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की प्रमाणिकता पर बल देती है | जिसके लिए एक प्रमाण -पत्र की आवश्यकता होती है | इस प्रमाण -पत्र पर कंप्यूटर या संचार-युक्ति या सुसंगत क्रियाकलाप के प्रबंध, जो भी समुचित हो, के भारसाधक और विशेषज्ञ के हस्ताक्षर होने चाहिए तब डिजिटल साक्ष्य न्यायालय में स्वीकार्य योग्य माना जाएगा, अन्यथा की स्थति में नहीं |
यद्धपि कानूनी रूप से किसी की आडियो -वीडियो रिकॉर्डिंग करना अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन बीएसए के तहत कुछ विशेष परिस्थितियों में रिकॉर्डिंग करना भी अनिवार्य बनाया गया है | उदाहरण के तौर पर अपराध स्थलों पर या यौन अपराधों के पीड़ित प्रकरणों में |
बीएसए में डिजिटल साक्ष्यों को दस्तावेजी साक्ष्यों के बराबर का दर्जा देने का उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया को सरलता प्रदान करना है | यधपि ,डिजिटल साक्ष्यों को बिना पुख्ता डेटा प्रोटेक्शन क़ानून के लागू करना भी गोपनीयता के मानवाधिकार के लिए चिंता का सबब है |
भारत में डिजिटल अरेस्ट की कानूनी वैधता
भारत में डिजिटल अरेस्ट के सम्बन्ध में कोई भी कानूनी प्रावधान अभी तक उपलब्ध नहीं है | यदि किसी व्यक्ति को डिजिटल अरेस्ट के सम्बन्ध में कोई वीडियो या ऑडियो कॉल आती है तो निश्चित तौर पर वह एक ठगी या जालसाजी करने के लिए की गयी कॉल है | दरअसल 1 जुलाई 2024 से लागू नए आपराधिक कानून में कानून लागू करने के लिए डिजिटल गिरफ्तारी करने का कोई प्रावधान नहीं किया गया है | नए क़ानून में केवल सम्मन की सेवा का तथा इलेक्ट्रॉनिक मोड में कार्यवाही का प्रावधान किया गया है |
डिजिटल अरेस्ट के सम्बन्ध में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने "मन की बात" के 155 वें एपीसोड में भारतीय जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था क़ानून में नहीं है | यह सिर्फ फ्रॉड है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का समूह है |
डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार के प्रयास
सरकार साइबर अपराध के नए रूप डिजिटल अरेस्ट से लड़ने के लिए सचेत और चिंतित है | इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को मन की बात के 115 वे एपिसोड में डिजिटल अरेस्ट विषय पर भारतीय जनता को सम्बोधित करना पड़ा तथा उससे बचने के उपाय के रूप में जनता को रुको -सोचो -एक्शन लो नामक मंत्र दिया गया |
प्रधान मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन का एक नंबर 1930 जारी किया गया है जिस पर कोई भी पीड़ित या उसकी ओर से किसी भी प्रकार के साइबर अपराध के सम्बन्ध अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है | इसके अलावा एक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybercrime.gov.in भी प्रारम्भ किया गया है, जिस पर डिजिटल अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति अपनी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकता है | साइबर अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों और केंद्र साशित प्रदेशों से मिलकर काम कर रही है | जिसके लिए सरकार ने नेशनल साइबर को आर्डिनेशन सेंटर की स्थापना भी की है |
साइबर अपराध जिसमें डिजिटल अरेस्ट भी शामिल है, के बारे में एसएमएस,सोशल मीडिया अक्स (पूर्व में ट्विटर)@ साइबरदोस्त, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि के माध्यम से जन-जागरूकता फैलाने के लिए केंद्र सरकार गंभीरता से प्रयासरत है |
गृह मंत्रालय द्वारा साइबर धोखाधड़ी के मामलों पर 6 फ़ेरबरी 2024 को जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार भारत सरकार द्वारा 3.2 लाख से अधिक सिम कार्ड और 49,000 IMEI ब्लॉक किए गए हैं।
डिजिटल अरेस्ट से बचाव के कुछ सरल उपाय
साइबर अपराध के क्षेत्र में ठगी और जालसाजी के लिए "डिजिटल अरेस्ट" को हतियार के रूप में उपयोग की समाज में एक बाढ़ सी आ गयी है, जो तत्काल मानव अधिकार संरक्षण हेतु निवारण उपायों और सार्वजनिक जागरूकता की मांग करता है | सार्वजनिक जागरूकता में आपराधिक न्याय व्यवस्था और पुलिस प्रशाशन से लेकर डिजिटल शिक्षा से वंचित हर आम नागरिक शामिल है |
कोई भी व्यक्ति व्हाट्स- ऍप कॉल की अपनी डीपी पर पुलिस की वर्दी में किसी व्यक्ति का फोटो लगाकर या साधारण काल के जरिये किसी अनजान नंबर से काल करके फ़साने का प्रयास करे और किसी को न बताने की बात कहे तो तत्काल काल कट करके बिना घबराये पुलिस या परिवारीजन या परिचित को सूचित करें | प्रोफेसर (डॉ) जी.के. गोस्वामी, IPS का कहना है कि जब आपने कोई अपराध किया ही नहीं है तो डर किस बात का है |
साइबर अपराधी साधारण कॉल या व्हाट्स- ऐप या वेबसाइट या किसी एप्लीकेशन आदि के माध्यम से धमकाकर, झांसा देकर या आपके किसी परिजन के संकट में होने की सूचना देकर या जालसाज कहते है कि मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग तस्करी में आपकी संलिप्तता पाई गई है और आपको डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास कर सकते हैं |ऐसी स्थती में तत्काल पुलिस को सूचना या संपर्क करना चाहिए|
यदि कोई अपरिचित काल करने वाला आपके पुत्र या पुत्री के किसी रैकेट या यौन अपराध में फसने और उसे अरेस्ट करने की बात कहता है तथा तुरंत रूपये भेजने पर उन्हें छोड़ने का आश्वासन देता है तो तुरंत समझ जाना चाहिए कि कॉल साइबर ठगों या जालसाजों की है | डिजिटल तरीके से ठगी या जालसाजी करने वाले अपराधी पीड़ित व्यक्ति को किसी अपराध से बचाने के ऐवज में रूपये की मांग करते हैं |
मोबाइल इंटरनेट पर अपनी निजी जानकारियों को साजा करने से तथा संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने और अज्ञात और अपुष्ट श्रोतों से उससे अटैच्ड फाइलें डाउनलोड करने से बचें |
डिजिटल अरेस्ट करने वाले साइबर अपराधी पीड़ित को कॉल करके स्वयं को सीबीआई ,एनआईए या किसी अन्य विभाग में अधिकारी आदि बताकर ठगीका गैरकानूनी कारोबार करते हैं |
अक्सर देखा गया है कि 92 कोड वाले नंबर से डिजिटलअरेस्ट के लिए कॉल्स की जाती है इसलिए इस कोड वाली काल को नदरअंदाज करें |
पुलिस विभाग में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई विधिक प्रावधान नहीं है | इसलिए पुलिस कभी भी लोगों को कॉल करके डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है |
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने "मन की बात" में डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए सरल उपाय के रूप में डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण बताये | ये चरण हैं -रुको- सोचो-एक्शन लो |
निष्कर्ष
वर्तमान समय में जरायम पेशे अर्थात आपराधिक कारोबार की दुनिया का सिरमौर शब्द डिजिटल अरेस्ट का व्यक्ति, परिवार, समाज और सरकार पर गहरा और व्यापक असर दृष्टिगोचर हो रहा है | यह न सिर्फ आभासीय बल्कि वास्तविक रूप में भी व्यतिगत स्वंत्रता को सीमित कर रहा है बल्कि समाज के लोकतांत्रिक ढाँचे को भी कमजोर कर रहा है | इस लिए यह आवश्यक है कि इस मुद्दे के निराकरण के सम्बन्ध में बिना समय गवाए हर मोर्चे पर ध्यान दिया जाए और नागरिकों की डिजिटल अरेस्ट से रक्षा के लिए हर स्तर से और हर संभव कानूनी और नीतिगत पुख्ता कदम उठाये जायें | डिजिटल दुनिया में डिजिटल अरेस्ट से मानव अधिकारों की रक्षा के लिए एक समर्पित और मानवाधिकार केंद्रित समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है,ताकि सभी लोग स्वंत्रता और गोपनीयता के मानवअधिकार के साथ जी सकें |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न : डिजिटल अरेस्ट क्या है ?
उत्तर :डिजिटल अरेस्ट एक नए किस्म का साइबर अपराध है | इसमें पीड़ित पर डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते हुए झूठे आपराधिक आरोप लगा दिए जाते है और उन्हें आपराधिक कानूनी कार्यवाही से बचने के बदले में उन्हें पैसे देने के लिए धमकाया या राजी किया जाता है | यह एक प्रकार की ठगी या जालसाजी के लिए किया जाता है |
प्रश्न : यदि कोई संदिग्ध कॉल आये तो क्या करें ?
उत्तर : यदि कोई संदिग्ध काल आये तो पहले रुकें फिर सोचें उसके बाद एक्शन ले अर्थात परिजनों या पुलिस को सूचित करें
प्रश्न : मुझे सबूत जुटाने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर : संदिग्ध काल आने की बाद आप मोबाइल या लेपटॉप स्क्रीन का स्क्रीन शॉट ले सकते हैं तथा ऑडियो या वीडियो काल होने की स्तिथि में उसे रिकॉर्ड भी कर सकते हैं |
It is very vital topic which create awareness to tha masses about digital arrest , great sir
जवाब देंहटाएंसाइबर अपराध इतने ज्यादा बड रहे हैं कि हर व्यक्ति अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा है ऐसे में आपका ये लेख व्यक्ति के उस डर को दूर करने में मददगार होगा। इस लेख के लिए डॉ आर.के. जस्सा जी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।भविष्य में भी आपके सहयोग का आकांक्षी।किसी विशेष विषय पर पढ़ने के लिए भी सुझाव देने का कष्ट करें।
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